चुनावी बॉण्ड योजना असंवैधानिक: सर्वोच्च न्यायालय
15 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से केंद्र की चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया, क्योंकि इस योजना के माध्यम से गुमनाम रहते हुए चुनावी चंदा दिया जा सकता है।
- इस निर्णय में यह रेखांकित किया गया कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।
- इसी के साथ अदालत ने आयकर अधिनियम, 1961 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में किये गए ऐसे संशोधनों को भी रद्द कर दिया, जो इस तरह के गुमनाम राजनीतिक योगदान या चंदे को सक्षम बनाते थे।
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 CBI का ऑपरेशन चक्र-V
- 2 भारत की मिलिट्री स्पेस डॉक्ट्रिन
- 3 केंद्र-राज्य संबंधों की जांच के लिए समिति गठित
- 4 स्थायी लोक अदालत
- 5 कैदियों की दुर्दशा पर NHRC ने लिया स्वतः संज्ञान
- 6 सिविल सेवकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
- 7 दल-बदल पर स्पीकर की निष्क्रियता: सर्वोच्च न्यायालय शक्तिहीन नहीं
- 8 बाल तस्करी पर सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश
- 9 विधेयकों पर राज्यपालों की विवेकशीलता सीमित: सुप्रीम कोर्ट
- 10 सर्वोच्च न्यायालय ने अधिकरणों को मजबूत करने पर बल दिया