अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्तमान स्थिति, चुनौतियां एवं बढ़ावा देने के प्रयास
हाल ही में, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में देश की हिस्सेदारी 2021 की तुलना में 2030 तक चार गुना बढ़ने का अनुमान है।
- इनके अनुसार, अंतरिक्ष संबंधी स्टार्टअप्स की संख्या वर्ष 2022 में 1 से बढ़कर वर्ष 2024 में लगभग 200 हो गई है। यह 200 गुना की अभूतपूर्व वृद्धि को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि केवल वर्ष 2023 में, लगभग आठ महीनों में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग 1000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया।
- ‘अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था’ (Space Economy) शब्द से तात्पर्य अंतरिक्ष में उपयोग के लिए ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 समुद्री शैवाल: भारत की तटीय समृद्धि का नया आधार
- 2 भारत के रक्षा निर्यात में वृद्धि: आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
- 3 भारतीय न्याय प्रणाली में पर्यावरण-केंद्रित दृष्टिकोण का विकास
- 4 भारतीय जेलों में महिला कैदी: संवैधानिक अधिकार बनाम ज़मीनी हकीकत
- 5 भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रतिस्पर्धा हेतु नवाचार और सहयोग आवश्यक
- 6 भारत-मॉरीशस संबंध मजबूत साझेदारी की नई ऊंचाइयों की ओर
- 7 समुद्र-तल युद्ध आधुनिक भू-तकनीकी संघर्ष का नया आयाम
- 8 अंतरराष्ट्रीय मंचों से अमेरिका का अलग होना: प्रभाव और निहितार्थ
- 9 कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भारत में न्याय वितरण में किस प्रकार क्रांति ला सकती है?
- 10 भारत-श्रीलंका मत्स्य विवाद: कारण प्रभाव एवं संभावित समाधान