भारत में भौगोलिक संकेतक प्रणाली : प्रबंधान, लाभ एवं चुनौतियां
4 जनवरी, 2024 को ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर के 17 से अधिक उत्पादों ने प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेतक टैग हासिल किया। भौगोलिक संकेतक (GI) उन उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक विशेष प्रकार का चिन्ह है, जिनकी उत्पत्ति किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान पर होती है तथा इस प्रकार के उत्पाद अपने उत्पत्ति स्थल के कारण प्रतिष्ठित होते हैं।
- भौगोलिक संकेतक आमतौर पर कृषि उत्पादों, खाद्य पदार्थों, वाइन एवं स्पिरिट पेय पदार्थों, हस्तशिल्प एवं औद्योगिक उत्पादों के लिए उपयोग किए जाते हैं। भौगोलिक संकेतक प्राप्त उत्पादों के बढ़ते महत्व को देखते हुए इनके प्रबंधन की प्रक्रिया के साथ इन ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत के कृषि-खाद्य स्टार्टअप: निर्यात-आधारित विकास के उत्प्रेरक
- 2 वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी: आकांक्षाएं, बाधाएं और भविष्य की राह
- 3 जीएसटी सुधार 2.0: प्रमुख परिवर्तन एवं निहितार्थ
- 4 तिआनजिन SCO सम्मेलन 2025: भू-राजनीतिक वास्तविकता की एक नई दिशा
- 5 ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन अधिनियम, 2025 - प्रियांशु भारद्वाज
- 6 संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र: वैश्विक संकट एवं बहुपक्षीय समाधान की राह
- 7 भारत में मोटापे की समस्या: सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती
- 8 प्रौद्योगिकी आपदा प्रबंधन में किस प्रकार सहायक हो सकती है? - नूपुर जोशी
- 9 भारत-सिंगापुर: द्विपक्षीय सहयोग के नये क्षितिज की ओर
- 10 भू-तापीय ऊर्जा नीति 2025: शुद्ध शून्य उत्सर्जन की तरफ भारत का संक्रमण - सत्य प्रकाश