शहरी अपशिष्ट जल प्रबंधन भारत का दृष्टिकोण, चुनौतियां तथा आगे की राह - डॉ. अमरजीत भार्गव
भारत में अपशिष्ट जल प्रबंधन (Wastewater Management) एक गंभीर मुद्दा है, जिसका पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। जनसंख्या वृद्धि और व्यापक शहरीकरण के परिणामस्वरूप सीवेज उत्सर्जन की दर में प्राकृतिक शुद्धिकरण की दर से काफी अधिक वृद्धि हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, प्रभावी अपशिष्ट जल प्रबंधन हेतु उपयुक्त अपशिष्ट जल उपचार अवसंरचना एक पूर्व-शर्त है। भारत में इस अवसंरचना की भारी कमी है। अपशिष्ट जल और सीवेज प्रबंधन में निजी सहयोग को प्रोत्साहित करके इस अंतर को पूरा किया जा सकता है।
दिसंबर 2024 में, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) तथा केंद्रीय जल ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत के परिवहन क्षेत्र का विकार्बनीकरण
- 2 ब्रिक्स एवं वैश्विक दक्षिण - आलोक सिंह
- 3 भारत की दुर्लभ भू-संपदा का समुचित दोहन: एक रणनीतिक अनिवार्यता - नुपुर जोशी
- 4 प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता: भारत की भावी संवृद्धि का एक प्रमुख स्तंभ - संपादकीय डेस्क
- 5 कृत्रिम बुद्धिमत्ता का पर्यावरणीय प्रभाव : नवाचार और धारणीयता का संतुलन
- 6 भारत की वैश्विक रणनीतिक साझेदारियां
- 7 भारत की साइबर प्रतिरोधक क्षमता का सुदृढ़ीकरण एक राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यता - संपादकीय डेस्क
- 8 पुनरुत्थान के मार्ग पर बिम्सटेक भारत के लिए रणनीतिक एवं आर्थिक अवसर - आलोक सिंह
- 9 डिजिटलीकरण: सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक - संपादकीय डेस्क
- 10 अमेरिका की नई टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार युद्ध की दस्तक - डॉ. उदय भान सिंह