प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता: भारत की भावी संवृद्धि का एक प्रमुख स्तंभ - संपादकीय डेस्क

प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता, भारत के विकास की एक परिभाषित शक्ति बनती जा रही है, जो रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष जैसे मूलभूत क्षेत्रों को स्वदेशी नवाचार के माध्यम से रूपांतरित कर रही है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी सरकारी पहलें आयात-निर्भरता को महत्त्वपूर्ण रूप से कम करने में सफल रही हैं। फिर भी चुनौतियां बनी हुई हैं, जिनमें कम अनुसंधान एवं विकास (R&D) निवेश से लेकर डिजिटल असमानता तक शामिल हैं। इन बाधाओं को दूर करने के लिए दूरदर्शी रणनीति, कौशल विकास और समावेशी तंत्र की आवश्यकता है, ताकि भारत वैश्विक प्रौद्योगिकी नेतृत्व को सुनिश्चित कर सके।

प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता भारत की ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
आलेख