भारत की दुर्लभ भू-संपदा का समुचित दोहन: एक रणनीतिक अनिवार्यता - नुपुर जोशी

दुर्लभ भू-तत्व (REEs) हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन इनके वैश्विक प्रसंस्करण पर चीन का वर्चस्व है। भारत विश्व में 5वां सबसे बड़ा दुर्लभ भू-तत्व (REEs) भंडार होने के बावजूद इस संसाधन का समुचित उपयोग नहीं कर पाया है। वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस रणनीतिक खनिज संसाधन का दोहन अनिवार्य है, ताकि खनिज आत्मनिर्भरता, प्रौद्योगिकीय सुदृढ़ता और भविष्य की तैयारी सुनिश्चित की जा सके।

चीन द्वारा दुर्लभ भू-तत्वों के निर्यात पर अपनी पकड़ बनाए रखने से वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएं बाधित हुई हैं, जिसका प्रभाव अमेरिका, जापान, जर्मनी ....

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