पिपरहवा पुरावशेष
- हाल ही में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सोथबी हांगकांग द्वारा पवित्र पिपरहवा अवशेषों की नीलामी को रोकने के लिए तुरंत और व्यापक कदम उठाए हैं, जो भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की रक्षा करने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- इन पुरावशेषों की खोज पिपरहवा स्तूप से 1898 में विलियम क्लैक्सटन पेप्पे द्वारा की गई थी, आधुनिक पिपरहवा प्राचीन कपिलवस्तु शहर का एक स्थल था, जो भगवान बुद्ध की जन्मस्थली भी है।
- पिपरहवा अवशेष में अस्थि के टुकड़े, सोपस्टोन और क्रिस्टल के ताबूत, एक बलुआ पत्थर का संदूक, सोने के आभूषण और रत्न जैसे चढ़ावे शामिल हैं। यह ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 कर्मा उत्सव
- 2 बथुकम्मा उत्सव
- 3 उन्मेषः अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव
- 4 नुआखाई महोत्सव 2025
- 5 राष्ट्रीय अभिलेखपाल समिति की 50वीं स्वर्ण जयंती बैठक
- 6 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष
- 7 पूम्पुहार (कावेरीपट्टनम)
- 8 दादाभाई नौरोजी: आर्थिक राष्ट्रवाद के जनक
- 9 बुद्ध के पवित्र अवशेषों की रूस में ”प्रथम प्रदर्शनी“
- 10 त्रिपुर सुंदरी मंदिर

