भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रतिस्पर्धा हेतु नवाचार और सहयोग आवश्यक
हाल ही में, केंद्र सरकार ने देश में रचनाकार अर्थव्यवस्था (Creators’ Economy) को बढ़ावा देने के लिए 1 बिलियन डॉलर का विशेष कोष स्थापित करने का निर्णय लिया है। साथ ही, मुंबई में 400 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) स्थापित किया जाएगा।
- रचनाकार अर्थव्यवस्था (Creators’ Economy), जो व्यापक रचनात्मक अर्थव्यवस्था (Creative Economy) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, स्वतंत्र कंटेन्ट निर्माताओं, प्रभावशाली व्यक्तियों (Influencers) और डिजिटल उद्यमियों को शामिल करती है। ये लोग सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके ऑनलाइन सामग्री, उत्पाद या सेवाओं का निर्माण और वितरण कर राजस्व उत्पन्न करते हैं।
- वहीं ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 जलीय कृषि में प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग: सतत भविष्य का आधार
- 2 भारत का समुद्री भू-आधिकार: अरब सागर के विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ पर विधिक दावा
- 3 भारत में ई-कॉमर्स का तेजी से बढ़ता विस्तार: उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा
- 4 भारतीय कानूनों में लैंगिक तटस्थता: एक अधूरा एजेंडा
- 5 मानव विकास रिपोर्ट में भारत: प्रगति की झलक एवं एआई युग में समावेशी विकास की चुनौतियां
- 6 समावेशी डिजिटल पहुंच: जीवन एवं स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का अभिन्न अंग
- 7 वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ भारत की बहु-आयामी रणनीति: विश्लेषण
- 8 भारत में जाति जनगणना: नीतिगत सुधार एवं सामाजिक समावेशन की दिशा में कदम
- 9 भारत में नागरिक सुरक्षा: चुनौतियां, तैयारी और सुधार की दिशा
- 10 डि-एक्सटिंक्शन: एक नीतिशास्त्रीय दृष्टिकोण