डि-एक्सटिंक्शन: एक नीतिशास्त्रीय दृष्टिकोण

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की प्रगति ने अब ऐसे विकल्प सामने रख दिए हैं, जो कभी केवल कल्पना माने जाते थे। ‘डि-एक्सटिंक्शन’ या ‘विलुप्त प्रजातियों का पुनर्जीवन’ इसी में से एक है। हाल ही में अमेरिकी बायोटेक कंपनी ‘कोलोसल बायोसाइंसेज’ ने यह दावा किया है कि उसने 13,000 वर्ष पूर्व विलुप्त हो चुकी भेड़िये की डायर वुल्फ प्रजाति को पुनर्जीवित किया है। इस विलुप्त प्रजाति के जीवाश्मों से प्राप्त डीएनए की मदद से इसी प्रजाति के 3 बच्चों को विकसित किया गया है।

  • अमेरिकी कंपनी का यह दावा जैव-प्रौद्योगिकी की सफलता तो दर्शाता है, लेकिन इससे जुड़ी नीतिशास्त्रीय जटिलताओं ने व्यापक बहस ....
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