थार में 30 साल बाद देखी गयी कैरेकल बिल्ली

हाल ही में विशेषज्ञों ने जैसलमेर के मरुस्थल में दुर्लभ कैराकल शावक की उपस्थिति की पुष्टि की है।

  • इससे पहले मार्च 2025 में कैराकल को राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स बाघ अभयारण्य में पहली बार देखा गया था।
  • इसको स्थानीय रूप से सियालघोष के नाम से भी जाना जाता है।
  • स्वरूपः यह एक रात्रिचर बिल्ली प्रजाति है, जो अपने विशिष्ट और नुकीले कानों के लिए जानी जाती है।
  • वितरणः यह अफ्रीका, मध्य पूर्व, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया की मूल निवासी हैं।
  • भारत में यह अब वे केवल राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में ही पायी जाती है।
  • IUCN स्थितिः न्यूनतम चिंता (LC)।
  • CITES: इसे लुप्तप्राय ....
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