जीन-संपादित सरसों
हाल ही में, भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार कम तीखी गंध वाली सरसों (Low-Pungent Mustard) विकसित की है, जो कीटरोधी (Insect Repellent) होने के साथ रोग प्रतिरोधी भी है।
- यह गैर-आनुवंशिक रूप से संशोधित (Non-Genetically Modified) और ट्रांसजीन-मुक्त (Transgene-Free) होने के साथ-साथ CRISPR/Cas9 जीन एडिटिंग पर आधारित है।
- विदित हो कि भारतीय सरसों के बीज में ग्लूकोसाइनोलेट्स (Glucosinolates) का स्तर काफी अधिक ¹लगभग 120-130 भाग प्रति मिलियन (ppm)] होता है, जो सल्फर और नाइट्रोजन युक्त यौगिकों का एक समूह है।
- यह सरसों तेल और भोजन में गंध को तीखा कर देता है। इस वजह से कई उपभोक्ता ऐसे तेल का सेवन करने ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री

- 1 पारंपरिक चिकित्सा पर प्रथम विश्व स्वास्थ्य संगठन-वैश्विक सम्मेलन
- 2 केवल जेनेरिक दवाएं लिखने की अनिवार्यता वाले के नियमों पर रोक
- 3 फ्यूचर ऑफ़ वर्कः स्टेट ऑफ़ वर्क/एआई
- 4 प्रथम 3D-प्रिंटेड पोस्ट-ऑफि़स
- 5 इकोलोकेशन
- 6 स्वदेशी ‘अस्त्र मार्क-2 मिसाइल’ का सफ़लतापूर्वक परीक्षण
- 7 आईएनएस विंध्यगिरि
- 8 कोशिका-मुक्त डीएनए
- 9 ग्राफ़ीन-ऑरोरा कार्यक्रम
- 10 डिजिटल इंडिया आरआईएससी-वी कार्यक्रम
- 11 भारतीय वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज
- 12 आइंस्टीन क्रॉस
- 13 100 माइक्रोसाइट्स परियोजना के तहत पहला एबीडीएम माइक्रोसाइट
- 14 पार्काचिक ग्लेशियर में झीलों के निर्माण की संभावना