जैव विविधता हॉट स्पॉट

जैव विविधता हॉट स्पॉट का सर्वप्रथम उपयोग ब्रिटिश पारिस्थितिकीविद नॉर्मन मायर्स ने सन् 1998 में किया था। नॉर्मन मायर्स के अनुसार उन क्षेत्रें को जैव विविधता हॉट स्पॉट कहते हैं जो पौधों, जन्तुओं एवं सूक्ष्मजीवों के समृद्ध जीवीय समुदायों को धारण करते हैं तथा जिनमें स्थानिक प्रजातियों का बाहुल्य होता है। इन्होंने 10 समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्रें को जैव विविधता हॉट स्पॉट कहा जाता है, जिनमें संवहनीय पौधों की 1500 स्थानिक प्रजातियां पाई जाती है तथा उनके मौलिक आवासों के 70 प्रतिशत भाग नष्ट हो गए हों। जैव विविधता हॉट स्पॉट को मेगाडाइवर्सिटी प्रदेश या मेगाडाइवर्सिटी स्थान भी कहते हैं। विश्व में जैव विविधता हॉट स्पॉट वाले स्थान निम्न हैं।

  • अमेजोनिया, मलेसिया प्रायद्वीप, न्यूजीलैंड, मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका, उ-पू- आस्टेªलिया, बोनिर्या, पश्चिमी अफ्रीका, भारत का पश्चिमी घाट, फिलीपाइन, ऊष्णकटिबंधी एण्डीज- वेनेजुएला, कोलंम्बिया, इक्वेडोर पेरू, बोलिया आदि, पूर्वी इण्डोनेशिया (वैलेसिया), एण्टीलीस, ब्राजील का सेरैडा, द-प- ऑस्टेªलिया, पूर्वी हिमालय, तस्मानिया, पूर्वी रूससागरीय प्रदेश, पोलनेसिया तथा माइक्रोनेसिया द्वीप, हवाई आदि।
  • भारत में 3 जैव-विविधता हॉटस्पॉट पाए जाते हैं-
    1. पूर्वी हिमालय
    2. इंडो बर्मा क्षेत्र
    3. पश्चिमी घाट एवं श्रीलंका
  1. पूर्वी हिमलाय जैव विविधता हॉट स्पॉट प्रदेश के अन्तर्गत भारत के उत्तराखण्ड सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश एवं उपहिमालयी पश्चिमी बंगाल, नेपाल, भूटान तथा चीन के युन्नान प्रान्त के समृद्ध जीवीय समुदायों को शामिल किया जाता है। इस प्रदेश में 10,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से 32 प्रतिशत पादप प्रजातियां स्थानिक हैं। अकेले सिक्किम में 4200 पादप प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें से 60 प्रतिशत स्थानिक हैं। हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र के भारतीय प्रदेशों में 5800 से अधिक पादप प्रजातियाँ पायी जाती हैं, जिनमें से 36 प्रतिशत प्रजातियाँ स्थानिक हैं। नेपाल में 7000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ हैं, जिनका 8 प्रतिशत स्थानिक प्रजातियों का है। भूटान की लगभग 5000 पादप प्रजातियों में से 15 प्रतिशत स्थानिक प्रजातियां हैं।
  2. इण्डो-बर्मा जैव विविधता हॉट स्पॉट प्रदेश के अन्तर्गत उत्तरी पूर्वी भारत के प्रान्तों तथा सीमावर्ती म्यांमार (बर्मा) के समृद्ध जीवीय समुदायों को शामिल किया जाता है। भारतीय प्रदेश के अन्तर्गत नागालैंड, मेघालय, मणीपुर, असम तथा त्रिपुरा को सम्मिलित किया जाता है। समृद्ध पादप प्रजातियों के अलावा इस प्रदेश में ताजे जल के जन्तुओं, पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ तथा अन्य स्थानिक जन्तु प्रजातियां पायी जाती हैं।
  3. पश्चिमी घाट जैव विविधता हॉट स्पॉट प्रदेश में पायी जाने वाली समस्त पादप प्रजातियों का 52 प्रतिशत भाग स्थानिक प्रजातियों का है। पश्चिमी घाट पारिस्थितिक तंत्र का विस्तार महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल प्रान्तों के पश्चिमी भागों पर पाया जाता है। अगस्त्यमाला पहाड़ तथा साइलेण्ट घाटी इस प्रदेश के अति महत्वपूर्ण समृद्ध जैव विविधता क्षेत्र हैं।

जैव विविधता के लाभ

  • जल का संरक्षण एवं सुरक्षा
  • वायु का शुद्धीकरण
  • मिट्टियों का निर्माण एवं संरक्षण
  • मौसम एवं जलवायु का परिमार्जन एवं नियंत्रण
  • जलीय चक्र का नियंत्रण एवं क्रियाशीलता
  • पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता का अनुरक्षण
  • मानव-जनित श्रोतों से निःसृत कार्बन-डाइऑक्साइड का अवशोषण
  • सौन्दर्यात्मक मान या लाभ
  • नैतिक मूल्य 10,000 प्रजातियों का मनुष्य के आर्थिक क्रियाकलापों के कारण प्रतिवर्षा विलोपन हो रहा है।