जैवमंडल

भारत सरकार द्वारा पारिस्थितिक तंत्र की जैव-विविधता को कायम रखने के लिए जैवमंडल का प्रारूप तैयार किया गया है। जैवमंडल की स्थापना के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं:

  • पौधों, पशुओं एवं जीवाणुओं की विविधता एवं समन्वयता की सुरक्षा, और
  • पारिस्थितिकीय संरक्षण एवं अन्य पर्यावरणीय विषयों पर अनुसंधान को प्रोत्साहन।

संपूर्ण देश में अब तक 15 जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए जा चुके हैं। 15 आरक्षित क्षेत्रें में से 7 यूनेस्को जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र के विश्व नेटवर्क पर मान्यता प्रदान की गयी है। ये चार क्षेत्र हैं-नीलगिरी, पंचमढ़ी, नोकरेक, सिमलीपाल, सुंदरवन, मन्नार की खाड़ी और उत्तराखंड का जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र नंदादेवी।

भारत में जैवमंडल की स्थापना के क्षेत्र में निम्न बिन्दुओं पर विशेष बल दिया गया थाः

  • दूरस्थ संवेदन उपग्रह प्रणाली-जैसी आधुनिकतम तकनीकों के प्रयोग द्वारा अध्ययन एवं अनुसंधान को प्रोत्साहन,
  • प्रगति का नियमित मूल्यांकन,
  • इसके प्रति जनसाधारण में चेतना का विकास,
  • अनुसंधानात्मक गतिविधियों में तीव्रता लाना, और
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम का नियमित संचालन।

जैव मण्डल आगार (Biosphare Reserve): भारत ने भी UNESCO के दायरे में तटीय एवं स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र का जैवमण्डल आगार बनाया है, जिसके 3 प्रमुख उद्देश्य हैं।

  • जैव विविधता का संरक्षण
  • शोध एवं प्रशिक्षण की प्रोन्नति
  • पोषणीय विकास के लिए मॉडल प्रस्तुत करना।

वन्यजीव अभ्यारण्यः भारत में कुल 500 वन्य जीव अभ्यारण्य हैं, जहां पर जन्तुओं एवं आवासों की सम्यक रूप से रक्षा की जाती है तथा मनुष्य द्वारा इन अभ्यारण्यों के किसी भी भाग का उपयोग पूर्णतया वर्जित है।

बाघ आगार (Tiger Reserve): भारत सरकार ने निम्न उद्देश्यों के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ नामक एक राष्ट्रीय योजना को सन् 1973 से प्रारंभ किया है-

  • बाघों की समुचित सुरक्षा एवं प्रबंधक द्वारा देश में बाघों की जीवनयोग्य संख्या को सुनिश्चित करना।
  • वैज्ञानिक, पारिस्थितिक, आर्थिक, सौन्दर्यात्मक, सांस्कृतिक एवं जैविक मूल्यों एवं महत्व के लिए बाघों की प्रजातियों को विशिष्ट चयनित टाइगर आगारों में पूर्ण सुरक्षा प्रदान करना।
  • शिक्षा एवं दृश्यावलोकन के लिए प्राकृतिक धरोहर के रूप में बाघों के आवासों तथा उनमें रहने वाले बाघों परिक्षण करना आदि।

प्रोजेक्ट हिम लियोपार्ड (तेंदुआ): हाल ही में भारत में प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट हाथी, प्रोजेक्ट गैण्डा के समान ही प्रोजेक्ट स्नो लियोपार्ड की योजना प्रारंभ की गई व इसका प्रमुख लक्ष्य है-

  • भारत में हिम क्षेत्रें में तेंदुआ की संख्या को बढ़ाना
  • उद्देश्य-स्थानीय लोगों की भागीदारी के माध्यम से उच्च पर्वतीय क्षेत्रें के तेंदुओं एवं उनके आवासों को संरक्षण प्रदान करना।