केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ)

उद्देश्य

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) एक अर्द्ध सैनिक बल है। जिसका गठन 1969 में हुआ था। इसका प्रमुख उद्देश्य देश के सरकारी कारखानों एवं अन्य सरकारी उपक्रमों को सुरक्षा प्रदान करना है। साथ ही देश के विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थानों की भी सुरक्षा करना है।

प्रमुख कार्य

अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण एवं उदारीकरण के साथ, सी-आई- एस-एफ अब सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम केंद्रित संगठन नहीं रह गया है, बल्कि यह देश का एक प्रमुख बहु-कौशल सम्पन्न सुरक्षा, एजेन्सी बन गया है। जिसे आतंकवाद एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्रें सहित विभिन्न प्रदेशों में देश की मुख्य संवेदनशील आधारभूत संस्थानों को सुरक्षा प्रदान करने का दायित्व सौंपा गया है।

सी-आई-एस-एफ, वर्तमान में 322 इकाइयों को सुरक्षा कवर प्रदान कर रहा है, जिनमें परमाणु ऊर्जा संयंत्र, अन्तरिक्ष संस्थाएं, रक्षा उत्पादन इकाइयां, खानें, ऑयल फील्ड और रिफइनरी, प्रमुख बंदरगाह, भारी इंजीनियरिंग स्टील संयत्र, उर्वरक इकाइयां, हवाई अड्डे, जल विद्युत/ थर्मल विद्युत संयंत्र, संवेदनशील सरकारी भवन तथा विरासती स्मारक (ताजमहल एवं लाल किला सहित) और निजी क्षेत्र की कुछ महत्वपूर्ण इकाइयां शामिल हैं।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ)

1939 को ‘क्राउन रिप्रजेन्टेटिव पुलिस’ के नाम से प्रचलित, मध्य प्रदेश में गठित किए गए इस बल का नाम स्वतंत्रता के बाद बदलकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कर दिया गया था। तब से बल की संख्या और क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

प्रमुख कार्य

सीआरपीएफ देश का सबसे बड़ा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल बन गया है। यह बल इस समय कानून एवं व्यवस्था, विद्रोह-रोधी, उग्रवाद-रोधी और नक्सल-रोधी अभियानों सहित विभिन्न प्रकार के कर्तव्यों के निर्वहन कर रहा है। यह बल लोक व्यवस्था बनाए रखने में राज्य सरकारों तथा संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों की सहायता करने और उग्रवादी समूहों की विध्वंसात्मक गतिविधियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस बल की महिला टुकड़ी भी है, जो 05 महिला बटालियनों और 10 आर ऐ एफ बटालियनों में से प्रत्येक में 96 की संख्या वाली 10 महिला टुकडि़यों में संघटित है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कार्मिक लगातार चौकसी बरत रहे हैं और देश के विभिन हिस्सों में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने की ड्यूटी तथा विद्रोह-रोधी एवं नक्सल -रोधी कार्रवाइयों को अंजाम दे रहे हैं।

यह बल लोक व्यवस्था कायम रखने और आतंकवादी समूहों की विध्वंसात्मक गतिविधियों को रोकने में राज्य सरकार एवं संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, ये कुछ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों एवं भवनों की चौकसी भी करते हैं। जिनमें जम्मू में माता वैष्णों देवी धार्मिक परिसर और रघुनाथ मंदिर अयोध्या में राम जन्म भूमि/बाबरी मस्जिद, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर / ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि तथा शाही ईदगार मस्जिद और संसद भवन शामिल हैं इसके अतिरिक्त, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल को 52 वर्गीकृत वीआइपी व्यक्तियों के लिए वीआइवी सुरक्षा की डयूटी भी सौंपी गई है।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी)

आईटीबीपी का गठन वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण के पश्चात 4 बटालियनों की मामूली संख्या के साथ मूलतः आपूर्ति, संचार एवं आसूूचना संग्रहण के मामले में आत्मनिर्भर एक एकीकृत ‘गुरिल्ला-सह- आसूचना-सह-लड़ाकू बल’ की अवधारण के अंतर्गत किया गया था। यह बल समय के साथ पंरपरागत सीमा प्रहरी बल के रूप में विकसित हो गया। आज आइटीबीपी लद्दाख में कराकोरम दर्रा (पास) के अरूणाचल प्रदेश में जाचेप ला तक (18,176 फीट की ऊंचाई पर) हिमालय के साथ-साथ भारत-चीन सीमा के पश्चिमी, मध्यवर्ती एवं पूर्वी क्षेत्र में 9,000 फीट से लेकर 18,750 फट की ऊंचाई वाले हिस्सों में 3,488 कि-मी- सीमा की रक्षा कर रही है और 169 सीमा चौकियों का संचालन कर रही है।

इसके अलावा, आइटीबीपी की टुकडि़यों को छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद-प्रभावित क्षेत्रें में भी तैनात किया गया है। वर्ष 2015-16 के दौरान, भारत-चीन सीमा पर इसकी नई सीमा चौकियां स्थापित की गई हैं।