राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी)

उद्देश्य

राष्ट्र-विरोधी त्तवों द्वारा पैदा किए जाने वाले गंभीर खतरों को निष्प्रभावी बनाने की दृष्टि से आतंकवादी गतिविधियों से निपटने हेतु फेडरल कंटिजेंसी डिप्लॉयमेंट फोर्स के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) का गठन वर्ष 1984 में किया गया था। इस संगठन की स्थापना के लिए अगस्त, 1986 में संसद में एक विधेयक पेश किया गया था और सितंबर, 1986 को भारत संघ के सशस्त्र बल के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड का औपचारिक रूप से गठन किया गया था।

प्रमुख कार्य

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड शत-प्रतिशत प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त कार्मिकों वाला बल है और इसके सभी कार्मिक सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, राज्य पुलिस एवं अन्य संगठनों से प्रतिनियुक्ति पर तैनात किए जाते हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के कमांडो अत्यन्त जोखिम वाले कार्य, जैसे विमान अपहरण-रोधी एवं आतंकवाद-रोधी अभियान में प्रशिक्षित किया जाता है। उन्हें अत्यधिक खतरे वाले निर्दिष्ट सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों को सचल सुरक्षा प्रदान करने का कार्य भी सौंपा जाता है।

अपने अभियान संबंधी कार्यो के अतिरिक्त यह बल विशेष कमांडो कार्रवाई, बम निष्क्रिय करने संबंधी तकनीक एवं सशस्त्र बलों सी-ए-पी-एफ-, राज्य पुलिस बलों एवं मित्र पड़ोसी देशों के सुरक्षा बल कार्मिकों को वी आई पी सुरक्षा संबंधी कार्य का प्रशिक्षण प्रदान करता है। दिल्ली में, एनएसजी को किसी भी राष्ट्रीय आकस्मिक घटना से निपटने के लिए नियत स्थानों पर सतर्क रखा जाता है। इन कमांडो को गणतंत्र दिवस एवं स्वंत्रता दिवस समारोहों जैसे राष्ट्रीय महत्व के अवसरों पर और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों तथा राज्य/सरकार के प्रमुखों के दौरे के समय भी विशेष सुरक्षा कवरेज प्रदान करने के लिए भी तैनात किया जाता है।

प्रमुख अभियान

इस बल का बुनियादी कार्य विशिष्ट स्थितियों में आतंकवादी खतरों से निपटना एवं उनकों निष्प्रभावी करना तथा विमान अपहरण-रोधी एवं बंधक बनाए गए व्यक्तियों को छुड़ाने संबंधी अभियान चलाना है। अपनी स्थापना के बाद से एनएसजी ने अब तक कई अभियान चलाए हैं, जिनमें सितम्बर, 2002 में अक्षरधाम मंदिर, गुजरात और नवंबर, 2008 में आतंकवादी हमले के दौरान मुम्बई स्थित होटल ताज, होटल ओबराय ट्राइडेंट और नरीमन हाउस में चलाए गए अभियान शामिल हैं।