सामुदायिक ग्रे पानी प्रबंधन

बहुत घनी बस्तियों में, जहाँ कभी-कभी घरों की दीवारें एक दूसरे से सटी होती हैं, घरेलू स्तर पर ग्रे पानी का प्रबंधन करना संभव नहीं हो सकता है। ऐसी स्थिति में घरेलू ग्रे पानी घर से बाहर जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि सामुदायिक ग्रे पानी का संचय हो सकता है। इसका संग्रहण करना होगा, नाली बनाकर खुले स्थान में या गाँव के बाहर शोधन के लिए इसे पहुंचाना होगा। ऐसे ग्रे पानी के प्रबंधन के लिए शोधन के अनेक विकल्पों का प्रयोग किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रें में सार्वजनिक स्थानों जैसे कि वाटर स्टैंड पोस्ट, हैंड पंप, सार्वजनिक कुआं आदि में ओवर फ्रलो से ग्रे पानी उत्पन्न होता है। यह ग्रे पानी आमतौर पर अधिक साफ होता है परन्तु इसका भी समुचित ढं़ग से प्रबंधन करने की जरूरत होती है। उपयुक्त तकनीकी विकल्प अपनाकर साइड पर ही ऐसे पानी का प्रबंधन किया जा सकता है।

रूट जोन प्रबंधन

साइड पर सामुदायिक ग्रे पानी के प्रबंधन की यह एक अन्य विधि है। परिवारों से सीमित मात्र में सामुदायिक ग्रे पानी के लिए भी यह सिस्टम उपयोगी हो सकता है। यहाँ एक तरह का सेडिमेंटेशन सह फिल्टर बेड का निर्माण किया जाता है, जिसके शीर्ष पर नरकुल आदि जैसे पौधे लगाए जाते हैं। नरकुल की जड़ों के माध्यम से ऑक्सीजन प्रदान की जाती है, जो प्रदुषण फैलाने वाले तत्वों का भी ध्यान रखता है। इस सिस्टम से पानी का बाहर निकलना अच्छी तरह स्थिर होता है तथा रोगाणु रहित होता है। बागवानी आदि के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है।

ई-कचरा प्रबंधन के नियम

  • अक्टूबर 2016 से ई-कचरा प्रबंधन नियम, 2016 प्रभाव में आए।
  • ये नियम प्रत्येक निर्माता, उत्पादनकर्त्ता, उपभोक्ता, विक्रेता, अपशिष्ट संग्रहकर्त्ता, उपचारकर्त्ता व उपयोग- कर्त्ताओं आदि सभी पर लागू होंगे।
  • अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक रूप दिया जाएगा और श्रमिकों को ई-कचरे को संभालने के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा, न कि उसमें से कीमती धातुओं को निकालने के बाद।
  • इस नियम से पहले ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2011 कार्यरत था।