भूमि सुधार के लिए संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 31, 31बी

  • जमींदारी व्यवस्था को समाप्त करता है।
  • राज्य को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह किसी भी भूमि को सार्वजनिक भूमि के रूप में अधिग्रहीत कर सकता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 31.B यह सुनिश्चित करता है कि नौवीं अनुसूची के किसी भी कानून को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
  • सरकार कृषि संबधित कानूनों को लागू कर भूमि सुधार की दिशा में आवश्यक कदम उठा सकती है।

अनुच्छेद 39

भू संशाधन का इस प्रकार वितरण हो कि आम जनता तथा समुदाय को लाभ प्राप्त हो सके तथा धन और भूमि केवल कुछ अभिजात वर्ग तक सीमित न हो। जलवायु परिवर्तन पर तैयार की गई राष्ट्रीय कार्रवाई योजना के अधीन भारत ने राष्ट्रीय समावेशी कृषि मिशन (NMSA) 2010 में देश को समर्पित किया था। वैश्विक ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन के लिए कृषि लगभग 14 प्रतिशत उत्तरदायी है। कृषि की वजह से होने वाले उत्सर्जन को किसानी, खाद्य निर्माण तथा कृषि ऊर्जा उपयोग के लिए होने वाले वनों की कटाई की वजह होने वाले उत्सर्जन के साथ जोड़ दिया जाए तो यह क्षेत्र वैश्विक उत्सर्जन में सबसे अधिक भागीदारी करने वाला क्षेत्र बन जाता है।

भारत में, कृषि क्षेत्र कुल उत्सर्जन में से 17.6 प्रतिशत के लिए उत्तरदायी है। इसके साथ ही बिजली का लगभग एक.चौथाई का उपयोग कृषि क्षेत्र में होता है। इस तरह से यह अप्रत्यक्ष तौर पर ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन में 10 प्रतिशत वृद्धि के लिए भी उत्तरदायी है।

अगर हम इन आंकड़ों में कृषि क्षेत्र को अपनी सेवाएं दे रहे खाद उद्योग तथा डीजल के उपयोग के साथ जोड़ दें तो पाएंगे कि कृषि, भारत में ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन में सबसे अधिक योगदान करती है। इस तरह यह जरूरी है कि भारत में जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के क्रम में कृषि क्षेत्र को उच्च प्राथमिकता दी जाए।