भूमि अधिग्रहण और भूमि सुधार की प्रक्रिया

जब भूमि का अधिग्रहण सरकार द्वारा किया जाता है तो स्वामित्व से संबंधित मामलों का समाधान कानून द्वारा अपने.आप ही हो जाता है और जिसके नाम से आवंटन होता है, उसे विवादरहित भूमि मिलती है। इस तरह आर्थिक विकास के लिए सरकारी अधिग्रहण बहुत जरूरी है। केंद्र या राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रत्येक विकासात्मक परियोजना के साथ पुनर्स्थाापना एवं पुनर्वास नीति के अधीन उपयुक्त पुनर्स्थापना एवं पुनर्वास योजना शामिल होती है।

खनन या पन.बिजली परियोजनाओ के उद्देश्य से अधिग्रहित की गई भूमि से प्रभावित लोगों को राज्यों या संबंधित भूमि अधिग्रहण एजेंसियों की पुनर्स्थापना एवं पुनर्वास नीति के अनुसार पैकेज दिए जाते हैं।

भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन (संशोधन) अध्यादेश, 2014

  • इस अध्यादेश ने कानून की धारा 10(ए) को संशोधित किया है।
  • इसके अंतर्गत परियोजनाओं की सूची को विस्तार दिया गया है, जिनके लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (SIA) और प्रभावित परिवारों की पूर्व सहमति लेने की जरूरत नहीं होगी।
  • इनके अंतर्गत रक्षा एवं रक्षा उत्पादन, ग्रामीण विद्युतीकरण सहित ग्रामीण बुनियादी ढ़ांचा, वहनीय आवास तथा गरीबों के लिए आवास, औद्योगिक कॉरिडोर तथा पीपीपी परियोजनाओं सहित बुनियादी ढ़ांचा तथा सामाजिक बुनियादी ढ़ांचा परियोजनाएं शामिल हैं, जिनका स्वामित्व सरकार में समाहित रहता है।
  • अध्यादेश में लाए गए बदलावों के अनुसार, बहुफसल सिंचित भूमि को भी इन उद्देश्यों से अधिग्रहित किया जा सकेगा। पहले के कानून के अंतर्गत उन भू.स्वामियों में से 70 प्रतिशत की सहमति जरूरी थी, जिनकी जमीन को पीपीपी परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित किया जाना था।
  • यह अध्यादेश ‘भुगतान किए गए मुआवजे’ के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अदालत में तथा जमा राशि को स्वीकार करता है।
  • यह बुनियादी ढांचे की संभावना को विस्तारित करता है और इसमें अस्पतालो एवं शिक्षण संस्थानों को शामिल करता है, जिन्हें मूल कानून में छोड़ दिया गया था।
  • अध्यादेश ‘निजी कंपनी’ शब्द के स्थान पर ‘निजी सत्ता’ शब्द का प्रयोग करता है। इसका मतलब यह है कि पहले होने वाले निजी अधिग्रहण केवल कंपनी कानून के अंतर्गत पंजीकृत निजी कंपनियों तक ही शामिल था लेकिन अब यह बात किसी निजी व्यक्ति पर भी लागू हो सकती है।

समुचित मुआवजे का अधिकार तथा भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन कानून, 2013 (RFCTLARR Act) ने पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन को अपने आप ही भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया का अंग बना दिया है। इस कानून के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण केवल अंतिम उपाय के तौर पर ही अपनाया जाता है।