वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद

  • अनुच्छेद 264. निर्वचन
  • अनुच्छेद 265. विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना
  • अनुच्छेद 266. भारत और राज्यों की संचित निधियां और लोक लेखे
  • अनुच्छेद 267. आकस्मिकता निधि
  • अनु. 268. संघ द्वारा उद्ग्रहित किये जाने वाले किंतु राज्यों द्वारा संगृहीत और विनियोजित किये जाने वाले शुल्क
  • अनुच्छेद 268क. संघ द्वारा उदग्रहित सेवा कर तथा संघ एवं राज्यों द्वारा विनियोजित एवं संकलित
  • अनुच्छेद 269. संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतु राज्यों को सौंपे जाने वाले कर
  • अनुच्छेद 270. संघ द्वारा उदगृहीत और संगृहीत तथा संघ और राज्य के बीच वितरित किये जाने वाले कर
  • अनुच्छेद 271. कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार
  • अनुच्छेद 272. (निरसित)
  • अनुच्छेद 273. जूट पर और जूट उत्पादों पर निर्यात शुल्क के स्थान पर अनुदान
  • अनुच्छेद 274. ऐसे कराधान पर, जिसमें राज्य हितबद्ध है, प्रभाव डालने वाले विधेयकों के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश की अपेक्षा
  • अनुच्छेद 275. कुछ राज्यों को संघ से अनुदान
  • अनुच्छेद 276. वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर कर
  • अनुच्छेद 277. व्यावृत्ति
  • अनुच्छेद 278. (निरसित)
  • अनुच्छेद 279. ‘शुद्ध आगम’ आदि की गणना
  • अनुच्छेद 280. वित्त आयोग
  • अनुच्छेद 281. वित्त आयोग की सिफारिशें
  • अनुच्छेद 282. संघ या राज्य द्वारा अपने राजस्व से किये जाने वाले व्यय
  • अनुच्छेद 283. संचित निधियों, आकस्मिक निधियों और लोक लेखा में जमा धनराशियों की अभिरक्षा आदि
  • अनुच्छेद 284. लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं की जमा राशियों और अन्य धनराशियों की अभिरक्षा
  • अनुच्छेद 285. संघ की संपत्ति को राज्य के कराधान से छूट
  • अनुच्छेद 286. माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन
  • अनुच्छेद 287. विद्युत पर करों से छूट
  • अनुच्छेद 288. जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधान से कुछ दशाओं में छूट
  • अनुच्छेद 289. राज्यों की संपत्ति और आय को संघ के कराधान से छूट
  • अनुच्छेद 290. कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन
  • अनुच्छेद 290क. कुछ देवस्यम् निधियों को वार्षिक संदाय
  • अनुच्छेद 291. (निरसित)
  • अनुच्छेद 292. भारत सरकार द्वारा उधार लेना
  • अनुच्छेद 293. राज्यों द्वारा उधार लेना
  • अनुच्छेद 294. कुछ दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार
  • अनुच्छेद 295. अन्य दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार
  • अनुच्छेद 296. राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति
  • अनुच्छेद 297. राज्यक्षेत्रीय सागर खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्रोतों का संघ में निहित होना
  • अनुच्छेद 298. व्यापार करने आदि की शक्ति
  • अनुच्छेद 299. संविदाएं
  • अनुच्छेद 300. वाद और कार्यवाहियां
  • अनुच्छेद 300क. विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना
  • भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम
  • अनुच्छेद 301. व्यापार, वाणिज्य व समागम की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 302. व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन अधिरोपित करने की संसद की शक्ति
  • अनुच्छेद 303. व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन
  • अनुच्छेद 304. राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन
  • अनुच्छेद 305. विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
  • अनुच्छेद 306. (निरसित)
  • अनुच्छेद 307. अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति