संघ तथा राज्यों के अधीन सेवाएं

वर्तमान लोकतंत्रत्मक राज्य व्यवस्था में सिविल सेवाएं सरकारी तंत्र के अनिवार्य अंग हैं। संसदीय शासन व्यवस्था में प्रशासनिक नीतियों का निर्धारण मंत्री द्वारा किया जाता है, परंतु देश का प्रशासन लोक सेवा अधिकारियों के एक विशाल समूह द्वारा चलाया जाता है। इन अधिकारियों को ‘स्थायी कार्यपालिका का निर्माता’ तथा लोक सेवा आयोगों को ‘लोकतंत्र का संरक्षक’ भी कहा जाता है।

सेवाओं का स्वरूपः स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय संविधान के अन्तर्गत लोक सेवाओं को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जो निम्न प्रकार हैं- 1. अखिल भारतीय सेवाएं, 2. केन्द्रीय सेवाएं, 3. राज्य सेवाएं।

  1. अखिल भारतीय सेवाएं: भारत में अखिल भारतीय सेवाओं का गठन संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत किया गया है। अखिल भारतीय सेवा राष्ट्रीय स्तर की सेवा है। इस सेवा के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. केन्द्रीय सेवाएं: अखिल भारतीय सेवाओं के अतिरिक्त भी विभिन्न प्रकार की सेवाएं केन्द्रीय स्तर की होती हैं जिन्हें केन्द्रीय सेवाएं कहा जाता है। केंद्रीय सेवा राष्ट्रीय स्तर की सेवा है, जो केवल भारत संघ के लिए है।
  3. राज्य सेवाएं: राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य के अधिकारियों का चयन किया जाता है। इस सेवा में नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
लोक सेवा आयोगः भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315(i) के अनुसार संघ के लिए एक लोक सेवा आयोग तथा प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्य लोक सेवा आयोग का प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 315(ii) में यह प्रावधान है कि दो या दो से अधिक राज्य मिलकर एक संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग रख सकते हैं। अनुच्छेद 315(अ) के अनुसार राष्ट्रपति के अनुमोदन से संघ लोक सेवा आयोग भी किसी राज्य के राज्यपाल के अनुरोध पर, राज्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है।
  • अनुच्छेद 308. निर्वचन
  • अनुच्छेद 309. संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तें
  • अनुच्छेद 310. संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि
  • अनुच्छेद 311. संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्युत किया जाना, पद से हटाया जाना या पंक्ति में अवनत किया जाना।
  • अनुच्छेद 312. अखिल भारतीय सेवाएं
  • अनुच्छेद 312क. कुछ सेवाओं के अधिकारियों की सेवा की शर्तों में परिवर्तन करने या उन्हें प्रतिसंहृत करने की संसद की शक्ति
  • अनुच्छेद 313. संक्रमणकालीन उपबंध
  • अनुच्छेद 314. (निरसित)
  • अनुच्छेद 315. संघ व राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
  • अनुच्छेद 316. सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि
  • अनुच्छेद 317. लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य का हटाया जाना और निलंबित किया जाना
  • अनुच्छेद 318. आयोग के सदस्यों और कर्मचारीवृंद की सेवा की शर्तों के बारे में विनिमय बनाने की शक्ति
  • अनुच्छेद 319. आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य न रहने पर पद धारण करने के संबंध में प्रतिषेध
  • अनुच्छेद 320. लोक सेवा आयोगों के कृत्य
  • अनुच्छेद 321. लोक सेवा आयोगों के कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति
  • अनुच्छेद 322. लोक सेवा आयोगों के व्यय
  • अनुच्छेद 323. लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन
  • अनुच्छेद 323क. प्रशासनिक अधिकरण
  • अनुच्छेद 323ख. अन्य विषयों के लिए अधिकरण