क्षेत्रीय परिषद्

क्षेत्रीय परिषद् की अवधारणा सर्वप्रथम पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 द्वारा भारत को पांच क्षेत्रों में बॉंटा गया है। प्रत्येक क्षेत्र के सामान्य हित के विषयों पर विचार विमर्श के लिए क्षेत्रीय परिषदों का निर्माण किया गया है-

  1. केंद्रीय क्षेत्रः इसमें मध्य प्रदेश, छतीसगढ, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड राज्य सम्मिलित हैं। मुख्यालय- इलाहाबाद।
  2. दक्षिणी क्षेत्रः आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल तथा पुदुच्चेरी (संघ राज्य क्षेत्र) मुख्यालय- चेन्नई।
  3. पश्चिमी क्षेत्रः महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दादर व नागर हवेली तथा दमन और दीव संघ राज्य क्षेत्र। मुख्यालय-मुम्बई।
  4. पूर्वी क्षेत्रः बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और सिक्किम। मुख्यालय- कोलकाता।
  5. उत्तरी क्षेत्रः हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर राज्य तथा दिल्ली एवं चंडीगढ़ संघ राज्य क्षेत्रों से मिलकर बनता है। मुख्यालय- नई दिल्ली।

इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर परिषद् अधिनियम 1971 के अधीन एक पूर्वोत्तर परिषद् भी बनाई गई है जो कि असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैण्ड, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश तथा मिजोरम की सम्मिलित समस्याओं पर विचार विमर्श करती है। 23 नवंबर, 2002 को सिक्किम को भी पूर्वोत्तर परिषद् में शामिल किया गया और इसे पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् से हटाने की प्रक्रिया गृह मंत्रालय द्वारा आरंभ कर दी गई है।