भारत-पाक सीमा

नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ कंट्रोल): भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गयी 740 किलामीटर लंबी सीमा रेखा है। यह रेखा दोनों देशों के बीच हुए युद्ध को विराम देकर त्तकालीन नियंत्रण स्थिति पर खींची गयी थी, जो आज भी लगभग वैसी ही है। तब कश्मीर के कई भागों में पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया था और भारतीय सेनाएं कश्मीर की सुरक्षा हेतु आगे आयीं थी। उत्तरी भाग में भारतीय सेना ने पाकिस्तान सेना को कारगिल सेक्टर से पीछे श्रीनगर-लेह राजमार्ग तक पछाड़ दिया था। 1965 में पाकिस्तान ने फिर आक्रमण किया किन्तु लड़ाई में गतिरोध उत्पन्न हुआ, जिसके कारण यह यथास्थिति 1971 तक बनी रही।

  • 1971 में बांग्लादेश युद्ध के उत्तर में पाकिस्तान ने फिर कश्मीर पर आक्रमण किया जिससे नियंत्रण रेखा के दोनों ओर दोनों ही देशों ने एक दूसरे की चौकियों पर नियंत्रण किया था।
  • भारत को नियंत्रण रेखा के उत्तरी भाग में लद्दाख क्षेत्र से लगभग 300 वर्ग मील भूमि मिली थी। 3 जुलाई, 1972 में शिमला समझौते के परिणाम स्वरूप शांतिवार्ता के बाद नियंत्रण रेखा को बहाल किया गया।
  • पारस्परिक समझौते में आपसी वार्ता से मामले के सुलझ जाने तक यथास्थिति बहाल रखे जाने की बात मानी गयी। यह प्रक्रिया कई माह तक चली और फील्ड कमाण्डरों ने अगले पांच माहों में लगभग बीस मानचित्र एक दूसरे को दिये और अंत्तः कुछ समझौते हुए। फिर भी दोनों देश के बीच समय-समय पर छिटपुट युद्ध होते रहते हैं। साथ ही एक बड़ा युद्ध कारगिल युद्ध भी हो चुका है।

भारत-पाक सीमा पर व्याप्त चुनौतियां

  • पाकिस्तान के साथ भारत के तीन बड़े युद्ध हो चुके हैं, इस कारण से भी भारत-पाक सीमा पर तनाव अपेक्षाकृत ज्यादा बना रहता है।
  • भारत-पाक सीमा के जम्मू कश्मीर भाग में चरम जलवायुवीय परिस्थितियां, बड़े-बड़े खड्डे एवं नाले के कारण यहां पर घुसपैठ एवं आतंकी प्रवेश की चुनौती काफी ज्यादा बनी रहती है।
  • वहीं भारत-पाक सीमा के पंजाब एवं राजस्थान भाग में घुसपैठ से ज्यादा बड़ी चुनौती मानव तस्करी, ड्रग तस्करी के रूप में विद्यमान है।

भारत-पाक सीमावर्ती क्षेत्रें का सुरक्षा प्रबंधन

  • पूरे भारत-पाक सीमा, के प्रबंधन की जिम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल (BSF-Border Security Force) की है। सीमा के प्रबंधन का दायित्व भारतीय सेना पर है। यहां सेना के साथ कुछ बटालियने भी हैं जो सेना के परिचालनात्मक नियंत्रण में कार्य करती है। सेना की प्राथमिक जिम्मेदारी पाकिस्तानी सेना द्वारा किसी भी भौतिक अतिक्रमण के प्रयास को विफल करना है। इसका दूसरा दायित्व हथियारबंद किराए के आतंकियों के घुसपैठों को रोकना है जो पाकिस्तानी सेना तथा आईएसआई द्वारा प्रायोजित होते हैं।
  • अन्य उपायों में बाड़बंदी तथा तेज रोशनी वाली लाइटों का प्रयोग हो रहा है। अवांछनीय प्रवासन तथा सीमा पार से राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा बाड़बंदी की अनुमति दी गई है। गहन चौकसी, खासकर रात के समय, के लिए तेज रोशनी वाली लाइटों का इंतजाम किया गया है।
  • भारत-पाक सीमा पर चौकियां की संख्या भी लगातार बढ़ाई गई है ताकि एक चौकी को कम दूरी की निगरानी करनी-पडे़ तथा प्रभावी निगरानी प्रणाली स्थापित हो। इसके अलावा आधारभूत ढांचे की सुविधा के लिए रोड आदि बनाने का काम जोर-शोर से चलाया जा रहा है।
  • स्थलीय सीमा प्रबंधन के अलावा समुद्र सीमा प्रबंधन के लिए कोस्ट गार्ड (Coast Guard) इंटरसेप्टर नौकाओं की खरीद के साथ निजी नौकाओं के लिए पंजीकरण, जीपीएस, तटीय जनसंख्या के लिए बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय पहचान-पत्र, मछुआरों के लिए पहचान पत्र जैसे प्रबंध किए गए हैं।

LOC का प्रबंधन

इस रेखा के भारतीय ओर इंडियन कश्मीर बैरियर है जो 550 किमी (340 मील) लंबा पृथक्करण अवरोध है और 740 किमी (460 मील) लंबी विवादित लाइन ऑफ कंट्रोल (या सीजफायर लाइन) पर बना है। यहां भारत द्वारा रेखा के काफी अंदर भारतीय नियंत्रण की ओर दोहरी बाड़ लगायी गई है।

इसका उद्देश्य हथियारों की तस्करी और पाकिस्तानी आतंकवादियों व अलगाववादियों द्वारा घुसपैठ रोकना है। यह अवरोध दोहरी बाड़ और कन्सर्टीना तारों के 8-12 फीट (2.4-3.7मी.) ऊंचाई तक बना है और विद्युतीकृत है। इसमें गति-सेंसर, ताप-चित्र (थर्मल इमेजिंग) व अलार्म सायरनों का जाल है, जहां जहां विद्युत आपूर्ति उपलब्ध है। एक छोटा भाग ऐसा भी है, जिसमें दोनों बाडों के बीच खंदक भी खुदी हुई है। इस अवरोध का निर्माण 1990 के दशक में आरंभ हुआ था, जो 2000 में पाक घुसपैठ के चलते कुछ धीमा पड़ गया था, किन्तु नवंबर 2003 के बाद घोषित युद्ध विराम के उपरांत फिर आरंभ हुआ और 2004 के अंत तक पूर्ण हुआ कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र में बाड़ 30 सितंबर 2004 को पूर्ण हुई थी। भारतीय सेना स्रोतों व आंकड़ों के अनुसार दस अवरोध से पाक घुसपैठ में 80 प्रतिशत की कमी आयी है। यहीं से पहले पाक घुसपैठिये व आतंकवादी आकर भारतीय क्षेत्र में सैनिकों पर हमले किया करते थे।