संगठित अपराध

अपराध अनेक अपराधी त्तवों द्वारा धन एवं लाभ की आकांक्षा हेतु अवैध गतिविधियों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय व स्थानीय स्तर पर चलाए जा रहे अत्यधिक केंद्रीकृत उद्यम का हिस्सा है।

संगठित अपराधों की प्रकृति सुनियोजित, स्तरीकरण पर आधारित, योजनापूर्ण एवं सामूहिक होती है। भय, हिंसा भ्रष्टाचार इनकी बुनियाद है। संगठित अपराध किसी भी एक देश की सीमाओं तक सीमित नहीं है और एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या बन गया। संगठित अपराध का समकालीन तरीका और विस्तार इतिहास के किसी समय किए गए अपराध से अधिक जटिल हो गया है। समकालीन प्रौद्योगिकियां और उभरती विश्व व्यवस्था राज्य की संप्रभुता तथा राष्ट्रीय सीमाओं के पारंपारिक मानदंडों की प्रभावकारिता को कम करती है। संचार और सूचना क्रांति तथा संपर्क परिवहन और लेन-देन के विस्तार की प्रक्रियाओं ने सीमापार पहुंचने की क्षमता में वद्धि की है। इससे अच्छाई तथा बुराई दोनों के लिए सूचना तथा अवसर के अभूतपूर्व मार्ग खुल गए हैं। विकास के पैटर्न ने भी जनसंख्या विस्फोट, दुर्लभ संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा तथा अस्त्तिव के लिए संघर्ष के रूप में ढेर सारी समस्याओं में योगदान दिया है। इस विकास की प्रक्रिया के कई दुष्परिणाम सामने आए हैं जैसे गरीबी बेरोजगारी, अपराध आदि।

संगठित अपराध का अर्थ

यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें ‘अपराध’ शब्द का तो अर्थ अत्यंत सरल गैर कानूनी कार्य है परन्तु ‘संगठित’ शब्द थोड़ा जटिल है, जो कि व्यापकता, योजना, लक्ष्य आदि को स्वयं में समाहित करता है।

  • साधारण शब्दों में संगठित अपराध बड़े पैमाने पर किए जाते हैं तथा इनके पीछे अपराधियों का एक बड़ा समूह कार्य करता है। इनका कार्यक्षेत्र अपेक्षाकृत विस्तृत होता है तथा इनके पास अत्यधिक संसाधन होते हैं।
  • इंटरपोल संगठित अपराध को इस प्रकार परिभाषित करता है कि ‘‘कोई भी उद्यम (enterprise) या व्यक्तियों का समूह जो ऐसी गतिविधियों को जारी रखने में लगे हुए हैं जिसकी प्राथमिक गतिविधियां ऐसे ग्राहकों से संबंध स्थापित करना है जो अवैध सामान तथा सेवाओं की एक लंबीशृंखला की मांग करते हैं।’’
  • इस प्रकार के संगठन अपहरण, जबरन वसूली सुरक्षा के लिए पैसे की मांग, अनुबंध की हत्या (contract killing), वैश्यावृत्ति, मानव तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी, मनी लांड्रिंग, अवैध हथियारों का व्यापार आदि गतिविधियों में शामिल रहते हैं।
  • सामान्यतः इस प्रकार के संगठनों का एक मात्र उद्देश्य आर्थिक लाभ प्राप्त करना होता है। अतः यह सरकार के विरोधी होकर, उसीके समानान्तर एक अन्य सरकार चलाना चाहते हैं। इसीलिए ये संगठन लालच या धमकाकर कभी-कभी सरकारी अफसरों को भी अपने साथ मिला लेते हैं। जिससे इनकी शक्ति में बढ़ोतरी होती है। कभी-कभी ये वैध व्यापार और मजदूर यूनियनों से भी जुडे़ होते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन (2010) में निम्न को ‘अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध’ में शामिल किया है-

  1. साइबर अपराध
  2. पायरेसी
  3. पर्यावरण अपराध
  4. मानव अंगों की तस्करी
  5. नकली दवाओं का निर्माण
  6. पहचान संबंधी अपराध
  7. समुद्री डकैती
  8. जाली मुद्रा प्रसार
  9. आतंकवादी घटनाएं
  10. सांस्कृतिक वस्तुओं की तस्करी

संगठित अपराध एवं आतंकवाद में संबंध

संगठित अपराध एवं आतंकवाद के मध्य संबंधों का आधार कई रूपों में हो सकता है। यथा-वैचारिक समर्थन, वित्तपोषण के माध्यम से, संरचनात्मक सुविधाएं देकर, कार्यात्मक सहयोग प्रदान कर आदि।

संगठित अपराध एवं आतंकवाद के लिए एक विशेष आधारभूत ढ़ाचे की आवश्यकता होती है। विशेष प्रकार की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक दशाएं इन्हें अनुकुल वातावरण प्रदान करती है। इस प्रकार ये उन कमजोर राष्ट्रों में जहां इनके अनुकूल वातावरण मिलता है तथा यह दोनों वहां की शासन प्रणाली के लिए खतरा एवं चुनौती बन जाते हैं।

आतंकवादी समूह अपनी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी के माध्यम से करते हैं। जिसके लिए वे संगठित अपराध का सहारा लेते हैं। संगठित अपराध नेटवर्क व्यापारिक हितों की सुरक्षा के लिए आतंकी तरीकों का इस्तेमाल करते हैं तथा आतंकी समूह अपने लक्ष्यों के लिए अवैध गतिविधियों हेतु इन संगठित अपराधों के स्थापित ढांचे का प्रयोग करते हैं।