सिंचाई की प्रमुख विधियां

आमतौर पर किसी फसल अथवा खेत में पानी दिये जाने के तरीक को सिंचाई विधि कहा जाता है। सिंचाई की वैज्ञानिक विधि का मतलब ऐसी सिंचाई व्यवस्था से होता है जिसमें सिंचाई जल के साथ उत्पादन के अन्य आवश्यक लागतों का प्रभावकारी उपयोग एवं फस्लोत्पादन में वृद्धि हो सके। सिंचाई की सबसे उत्तम विधि वह होती है। जिसमें जल का एक समान वितरण होने के साथ ही साथ पानी का कम नुकसान होता है। और अधिक से अधिक क्षेत्र सींखा जा सकता है।

इस प्रकार मुख्य रूप से सिंचाई की प्रमुख तीन विधियाँ हैंः-

  1. स्तही सिंचाई विधिः सिंचाई जल को भूमि के तल पर फैलाना तथा जल के अन्तःसरण का अवसर प्रदान करना सतही सिंचाई कहलाता है।
  2. बौछारी सिंचाई विधिः सिंचाई जल का वायुमण्डल में छिड़काव करना तथा वर्षा की बूंदों की तरह भूमि और पौधों पर गिरने देना बौछारी सिंचाई कहलाता है।
  3. असभूमि सिंचाईः सिंचाई जल को सीधे पौधे के जड़ क्षेत्र में पहुँचाना ही अवभूमि सिंचाई, बूंद-बूंद सिंचाई अथवा टपक सिंचाई के नाम से जाना जाता है।

इन वैज्ञानिक सिंचाई विधियों के विषय में कृषकों को जागरूक करना अत्यन्त आवश्यक है, जिससे कम जल से अधिकाधिक क्षेत्र की उपयोगी सिंचाई की जा सके। सिंचाई की विधियों का संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है-