भूमिगत सिंचाई

भूमिगत सिंचाई प्रणाली के अन्तर्गत भूमिगत पाइप लाइन, टाइल ड्रेन या मोल ड्रेन का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में 0-5 से 1 मीटर गहरी तथा 15 से 30 मीटर दूरी पर खाई खोद कर पाईप लाइन/ड्रेन स्थापित की जाती है। भूमी की बनावट एवं पौधों की जड़ की गहराई के अनुसार इसमें पानी की सतह बरकरार रखी जाती है। पानी कैपिलरी एक्शन द्वारा पौधों को उपलब्ध होता है। यह विधि ऐसी भूमि के लिए उपयोगी है, जिसमें पानी धारण क्षमता (वाटर होल्डिंग कैपेसिटी) कम होती है ताकि इनफिल्ट्रेशन दर अधिक होती है। यह विधि औद्योनिकी फसलों के लिए अधिक उपयोगी मानी जाती है।