नेशनल इनोवेशन काउंसिल

केंद्र सरकार राष्ट्रीय नवाचार परिषद (एनआईसी) की मदद से देश में 150 इनोवेशन क्लस्टर बनाएगी। ये क्लस्टर मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) से लेकर एर्नाकुलम (केरल) तक स्थापित किए जाएंगे। इन क्लस्टर में स्थित लघु व छोटे उद्यमियों को वैज्ञानिक और नए शोध की मदद से प्रतिस्पर्धी बनाने की कोशिश की जाएगी, जिससे कि वे बड़े पैमाने पर अपनी योग्यता व अनुभव का औद्योगीकरण कर सकें। राष्ट्रीय इनोवेशन परिषद ने पहले चरण में आठ क्लस्टर का चयन किया है। वर्ष 2012 के अंत तक 50 और वर्ष 2013 के अंत तक 150 क्लस्टर काम करने लगेंगे। इनोवेशन परिषद् के अध्यक्ष सैम पित्रेदा के मुताबिक वैसे देश में इस तरह के पांच हजार क्लस्टर बनाए जा सकते हैं, लेकिन मकसद चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ने का है। अभी चयनित आठ क्लस्टर में फरीदाबाद (हरियाणा) में ऑटो पार्ट्स के लिए और मुरादाबाद में तांबे के सामान के लिए क्लस्टर बनाना भी शामिल है।

विनिवेश नीति

  • भारत के नागरिकों को यह अधिकार है कि वे सरकारी क्षेत्र की कंपनियों में शेयरधारिता के एक हिस्से के शेयरधारक बनें।
  • सरकारी क्षेत्र के उपक्रम राष्ट्र की निधि है और यह निधि आम जनमानस के हाथों में होनी चाहिए।
  • विनिवेश करते समय सरकार अधिकांश शेयरधारिता अर्थात् कम से कम 51% और सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों का प्रबंधन नियंत्रण अपने पास रखे।

दिल्ली विश्वविद्यालय को एक क्लस्टर के तौर पर शामिल किया गया है जहां छात्रें और शिक्षकों को विशेष योजनाओं व इनोवेशन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। आम तौर पर इस योजना के तहत पारंपरिक ज्ञान के आधार पर अपने आप विकसित हो रहे उद्योगों को संगठित तौर पर आर्थिक व अन्य मदद दी जाएगी। इन उद्यमियों को प्रयोगशाला व मार्केटिंग की आधुनिक सुविधा दी जाएगी, जिससे वे बाजार में अपने उत्पादों की पहुंच बना सके। इस पूरे प्रोग्राम पर 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है।