डब्ल्यूटीओ एवं भारत

दोहा दौर की वार्ता पर विकसित एवं विकासशील देशों में असहमति 9 वर्ष बाद भी उन्हीं मुद्दों पर बनी हुई है जो पिछले कुछ वर्षों से डब्ल्यूटीओ वार्ताओं में रही है। विश्व व्यापार संगठन के 157 सदस्य देशों के बीच कृषि व्यापार और औद्योगिक बाजार तक पहुंच के मुद्दों पर मतभेद है। वार्ता में विवाद का प्रमुख कारण भारत और चीन द्वारा अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए कृषि बाजार नहीं खोलने पर कायम रहना है। जहां भारत समेत विकासशील देशों ने विकसित देशों में किसानों को मिलने वाली सब्सिडी पर सवाल उठाए, वहीं विकसित देशों की मांग थी कि विकासशील देश औद्योगिक वस्तुओं पर आयात शुल्क कम करें। वैश्विक व्यापार के संदर्भ में दोहा दौर की बातचीत सात वर्ष पहले नवंबर 2001 में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच शुल्क मुक्त व्यापार व्यवस्था को बढ़ाना और विकासशील देशों को व्यापार के नए अवसर प्रदान करना था।

विवाद के मुद्दे

भारत सहित ज्यादातर विकासशील देशों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा खेती के लिए दी जाने वाली सब्सिडी है। विकासशील देशों का कहना है कि विश्व व्यापार में बड़े देशों के मुकाबले वे तभी खड़े हो सकते हैं, जबकि यूरोपीय और अमेरिकी किसानों को मिलने वाली भारी सरकारी आर्थिक सहायता में कमी नहीं होती। विकसित देशों में कृषि से लेकर कृषि उत्पादों के निर्यात तक के लिए सरकार भारी आर्थिक सहायता देती है जिसका परिणाम यह होता है कि उन देशों के किसान अपना माल विकासशील देशों में भेजने लगते हैं जिसे व्यापार की शब्दावली में ‘डंपिंग’ कहा जाता है। जबकि विकासशील देशों के सुविधाहीन किसान मुकाबले में खड़े नहीं हो पाते। दूसरी तरफ विकसित देश चाहते हैं कि उनके औद्योगिक माल और सेवाओं के लिए भारत जैसे देश अपने बाजार खोलें।

बौद्धिक संपदा अधिकार

बौद्धिक संपदा अधिकार कार्यनीति देश में आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त है। यह अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश की सुविधा मुहैया कराने के साथ नागरिकों के जीवन गुणवत्ता में भी सुधार लाती है। बौद्धिक संपदा अधिकार से न केवल बौद्धिक संपदा अधिकार के स्वामियों की रचनात्मक क्षमता और नवप्रवर्तन की सुरक्षा होती है बल्कि ये उन वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने वाले प्रयोक्ताओं को भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार जो उपभोक्ता सुरक्षा के लिए सबसे अधिक संगत है वे हैं व्यापार चिह्न, भौगोलिक संकेतक तथा अनुचित प्रतिस्पर्धा के विरुद्ध सुरक्षा। व्यापार चिह्न ऐसा संकेत है जिसे व्यापार के दौरान उपयोग किया जाता है और यह एक उद्यम से अन्य उद्यम की सेवाओं या वस्तुओं में भिननता दर्शाता है। जबकि भौगोलिक संकेत एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पनन होने वाली विशेष चारित्रिक विशेषताओं के साथ वस्तुओं को पहचाना जाता है। ये अधिकार उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद खरीदने तथा उन्हें निम्न स्तर के उत्पादों के उपयोग से सुरक्षित करते हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार किसी भी आविष्कार पर एक सीमित अवधि के लिए एकाधिकार प्रदान करता है।

कृषि समझौता एवं भारत

जी.डी.पी में निरंतर गिरते हुये योगदान (13.9%) के बावजूद आज भी कृषि हमारी 54% से अधिक आबादी का भरण.पोषण करती है। विविधता, व्यापक कृषि क्षेत्र एवं सिंचाई क्षमता से युक्त भारत पर वैश्विक कृषि समझौते का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। इस समझौते में कृषीय सब्सिडी में कटौती का प्रावधान है। इस संदर्भ में विकासशील देशों को अपने कुल कृषि ळक्च् के 10% तक सब्सिडी की अनुमति है। जबकि भारत अपनी कुल कृषि GDP के 5.6% ही सब्सिडी देता है। अतः सब्सिडी में कटौती का प्रभाव भारत पर नहीं पड़ेगा। उत्पाद विशिष्ट सब्सिडी में कटौती का प्रभाव भी केवल तीन उत्पादों.गन्ना मूंगफली एवं तंबाकू पर पड़ेगा, जहां सब्सिडी की मात्र 10% से अधिक है। पर कृषि सब्सिडी के समायोजन की व्यवस्था के कारण ये क्षेत्र भी अप्रभावित रहेंगे। जनवितरण प्रणाली एवं खाद्यान्न सब्सिडी पर भी समझौते का कोई असर नहीं पड़ेगा। दूसरे शब्दों में जनहित में होने एवं अंतराष्ट्रीय कृषि व्यापार में विकृति नहीं उत्पन्न करने के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति, पौध.संरक्षण, रोग नियंत्रण सेवा, आधारमूत सुविधाओं के विकास, क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम आदि कार्यक्रमों में कटौती नहीं करनी पड़ेगी।

लाभः भारतीय उत्पाद, विकसित देशों में सीमा शुल्कों एवं सब्सिडी में कटौती के कारण और अधिक प्रतिस्पर्धी हो जायेंगे। कृषि आयात को प्रतिबंधित करने वाले देशों को अपनी कुल खपत का 3% आयात करना होगा एवं अगले 6 वर्षों में उन्हें अपनी आयात को बढ़ाकर 5% करना होगा। भारत को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। इससे भारतीय कृषि उत्पादों की अंतराष्ट्रीय पहुंच का विस्तार होगा।

डब्ल्यूटीओ के मुद्दों पर भारत का पक्ष

  • विकासशील देशों के लिए समग्र प्रशुल्क कटौतियां 36 प्रतिशत से अधिक न हों।
  • विकासशील देशों को इसके लिए स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। वे खाद्य सुरक्षा, आजीविका सुरक्षा तथा ग्रामीण विकास की आवश्यकताओं की तीन बातों को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त मात्र में विशिष्ट उत्पादों को स्वयं निर्धारित एवं नामित कर सकें।
  • विश्व स्तर पर कृषि कीमतों में गिरावट तथा आयातों में अचानक वृद्धि जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए एक प्रभावी विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाए।
  • अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों द्वारा घरेलू सब्सिडी में प्रभावी कटौती की जाए।
  • व्यक्तियों की आवाजाही से संबंधित मोड 4 के अंतर्गत विकसित देश इस प्रकार की व्यवस्था करें कि भारत के स्वतंत्र व्यवसायी तथा सेवाएं उपलब्ध कराने वाले के लिए इन देशों में जाकर काम करने के लिए अवसर मिले।
  • जमाखोरी.रोधी नियमों को और मजबूत किया जाए।
  • आर्थिक सहायता तथा प्रतिकारी उपायों के समझौतों का और विस्तार करने पर रोक लगाई जाए।

दोहा विकास एजेंडा

  • विश्व व्यापार संगठन की चौथी मंत्रिस्तरीय बैठक नवम्बर 2001 में कतर की राजधानी दोहा में सम्पन्न हुई। इस बैठक में सदस्य देशों ने दोहा घोषणा.पत्र पर हस्ताक्षर किये।
  • दोहा बैठक शुरू होने के पूर्व भारत सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि समझौता वार्ता का और विस्तार करने से पूर्व जो समझौते हो चुके हैं पहले उनका क्रियान्वयन किया जाये। बहुत से अन्य विकासशील देशों ने भी भारत का समर्थन किया।
  • व्यापार संबद्ध बौद्धिक संपदा अधिकार (TRIPs) और सार्वजनिक स्वास्थ्य विकासशील देशों के दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रही कि उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ट्रिप्स को अनदेखा करने या नजरअंदाज करने की छूट दे दी गई।
  • दोहा घोषणा.पत्र में यह खासतौर पर कहा गया कि समझौतावार्ता में सभी निर्यात सहायता को कम किया जायेगा, विकासशील देशों को विकसित देशों के बाजारों में और प्रवेश करने की सुविधा दी जायेगी तथा व्यापार.विरूपित करने वाले घरेलू समर्थन को कम किया जायेगा।
  • घोषणा.पत्र में समझौता.वार्ता के अधीन प्रशुल्कों को कम करने तथा अन्य मात्रत्मक प्रतिबंधों को कम करने पर विचार करने की सहमति व्यक्त की गयी।
  • विकसित देशों में अपनी कृषि वस्तुओं का बाजार पाने के लिए तथा विकसित देशों को कृषि सहायता कम करने पर राजी करने के लिए विकासशील देशों को पर्यावरण के मुद्दे को समझौता वार्ता में शामिल करने की स्वीकृति देनी पड़ी।