प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता

निम्नलिखित कारणों से प्रशासनिक सुधार आवश्यक है-

  1. मनुष्य चाहे जितनी भी उन्नति कर ले, कोई भी मानव संस्था पूर्ण नहीं होती है। वस्तुतः मानव संस्थाओं में बहुत सारे दोष होते हैं। ऐसे कई इतने भारी दोष होते हैं कि उन्हें दूर करना अनिवार्य होता है। प्रशासनिक सुधार वस्तुतः इस सिद्धांत पर आधारित होता है कि सभी प्रशासनिक तंत्रों में चाहे उनका प्रदर्शन जितना भी अच्छा रहे, सुधार की गुंजाइश बनी रहती है।
  2. प्रशासनिक सुधार के पीछे दूसरा सिद्धांत यह है कि बड़े संगठन, विशेषकर बड़े सरकारी संगठन आत्मसंतुष्ट नहीं तो रूढ़िवादी (परिमिति) तो हो ही जाते हैं। सतत परिवर्तनशील परिवेश अभिनव प्रवर्तन का प्रयास करने के बजाय घिसी-पिटी लीक पर चलने की ही व्यवस्था को विवश करते हैं। यदि संगठन सफल रहा हो तो वह सिद्ध सूत्र से चिपके रहना चाहता है। सभी संगठन ऐसे प्रशासनिक तंत्रों को पसंद करते हैं जो पर्याप्त अच्छी तरह चल रहे हों न कि ऐसे जोखिम भरे अभिनव परिवर्तनों को पसंद करते हैं जिनकी विश्वसनीयता स्थापित नहीं हो पाई है।
  3. इसी रूढ़िवादी प्रवृत्ति के कारण संगठन परिवेश में हुए परिवर्तनों की ओर से आँखें फेर लेते हैं। संगठन स्पष्ट चेतावनी संकेतों की तब तक उपेक्षा करते हैं जब तक कि समस्या निदान के परे न चली जाए। इसी रूढ़िवादी प्रवृत्ति के कारण प्रशासनिक सुधार आवश्यक हो जाता है।
  4. जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है, अधिकांश सरकारी संगठनों में रूढ़िवादी प्रवृत्ति होती है और वे अभिनव परिवर्तनों के प्रति उदासीन बने रहते हैं। यदि कोई कार्य करने का बेहतर तरीका भी खोज लिया गया हो तो भी इसे आजमाने के प्रति अनिच्छा या अरूचि रहती है। संगठन किसी अभिनव परिवर्तन को तभी अपनाते हैं जब किसी राज्य संगठन द्वारा उसे परख और आजमा लिया गया हो। जब तक संदेह की यह छाया हट न जाए तब तक संगठन पुरानी और घिसी-पिटी पद्धतियों और प्रथाओं को ही जारी रखते हैं, भले इससे उन्हें नुकसान हो रहा हो। अभिनव परिवर्तन के प्रति इस प्रतिरोध के कारण ही प्रशासनिक सुधार आवश्यक हो जाता है।

उपयुक्त तीनों सिद्धांत शायद ही कभी गलत होते हों और लोक प्रशासन के अध्ययन एवं व्यवहार में प्रशासनिक सुधारों का स्थान बन गया है। इस आवश्यकता को महसूस किए जाने के कारण प्रशासनिक सुधारों का निरंतर संस्थानीकरण हो रहा है। प्रत्येक लोक प्रशासन को अपना सुधारक स्वयं होने के लिए प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रत्येक सरकारी संगठन में अद्यतन प्रौद्योगिकी का ज्ञान रखने, अभिनव परिवर्तन को बढ़ावा देने एवं व्यावसायिक रूप से अनुमोदित सिफारिशों को अपनाने की अपेक्षा की जाती है। संक्षेप में, प्रशासनिक सुधारों की सुकल्पना का आगमन हो चुका है।