सन्थानम समिति

भ्रष्टाचार जैसी समस्या के समाधान के लिए सरकार निरंतर प्रयत्नशील रही है। अतः 1962 में भ्रष्टाचार निवारण के लिए विद्यमान रोधकों की जांच करने और भ्रष्टाचार विरोधी कदमों को दृढ़ बनाने के लिए आवश्यक उपाय सुझाने हेतु सन्थानम की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई। 1964 में इस समिति ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। समिति ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए अनेक सुझाव प्रस्तुत किए जिनमें से महत्वपूर्ण सुझाव निम्नलिखित थे-

  1. केंद्र सरकार में एक केंद्रीय सतर्कता आयोग स्थापित किया जाना चाहिए।
  2. सरकारी विधियों, नियमों और प्रशासकीय कार्य-प्रणालियों की निरंतर समीक्षा करते हुए उन्हें सरल और स्पष्ट बनाया जाए ताकि इनकी अस्पष्टता और जटिलता के कारण लोक-सेवकों को अनैतिक कार्य करने के लिए अवसर प्राप्त न हो सके।
  3. मंत्रियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार के आरोप की जांच करने के लिए एक राष्ट्रीय संस्था स्थापित करनी चाहिए जिस पर जनता का विश्वास हो।
  4. सरकारी अधिकारियों के लिए समुचित आवास और पर्याप्त वेतन की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि वे इन मामलों में रिश्वत के लोभ से बच सकें।
  5. नियुक्तियों और पदोन्नति में विशेष सावधानी बरती जानी चाहिए तथा योग्यता के आधार पर उत्तम चरित्र वाले व्यक्तियों को ही महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे जाने चाहिए।
  6. महत्वपूर्ण कार्य छोटे कर्मचारियों को न सौंपे जाएं। लिपिक वर्ग द्वारा निर्णय करने की परिपाटी बन्द कर दी जाए।
  7. फाइलों का निबटारा निश्चित अवधि के भीतर शीघ्र किया जाना चाहिए।
  8. संविधान की धारा 311 का संशोधन इस प्रकार किया जाना चाहिए कि भ्रष्टाचार के मामलों में कानूनी कार्रवाई शीघ्रतापूर्वक और आसानी से की जा सके।
  9. समस्त पदाधिकारियों, विधायकों और मंत्रियों को अपनी निजी संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए।
  10. विभिन्न राजनीतिक दलों को व्यापारियों एवं उद्योगपतियों द्वारा दिए गए दान की जानकारी और हिसाब का लेखा-जोखा जनता को देना चाहिए।
  11. प्रशासकीय कार्यों में विलम्ब के कारणों की जांच की जाए तथा उन सभी प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार लाया जाए जिनके कारण लालफीताशाही और अनावश्यक नौकरशाही में वृद्धि होती है।
  12. समस्त सरकारी विभागों, मंत्रालयों एवं सरकारी निगमों में एक मुख्य निगरानी अधिकारी की व्यवस्था की जानी चाहिए। यह मुख्य निगरानी अधिकारी अपने विभाग और मंत्रालय के अंदर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करेगा।
  13. उन सामाजिक संस्थाओं को जो भ्रष्टाचार के विरूद्ध संघर्ष करने की इच्छा रखती हो, सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में सहायता करने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए।
  14. समाज में ऐसे परिवेश का निर्माण किया जाना चाहिए जिससे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी को न केवल नौकरी चले जाने का डर हो बल्कि सामाजिक बहिष्कार होने का भी भय हो।