भारत की ड्रोन नीति 1.0

ड्रोन एक प्रौद्योगिकीय प्लेटफॉर्म है, जिसका फोटोग्राफी से लेकर कृषि और बुनियादी ढांचे के रख-रखाव से लेकर बीमा तक व्यापक उपयोग है। ड्रोन तकनीक अभी भारत में अपने आरंभिक चरण में है। विश्व स्तर पर समर्थ ड्रोन वातावरण को सक्षम बनाने के लिए इस क्षेत्र में वैश्विक प्रौद्योगिकियों और एफडीआई के रूप में निवेशों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसे ध्यान में रखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारत की ड्रोन नीति 1.0 जारी की, जो सरकार के साथ-साथ जनता की संबंधित चिंताओं को समायोजित करती और सुलझाती है।

ड्रोन के अनुप्रयोग

  • कृषि, मत्स्य पालन, वन संवर्धन, अंगूर की खेती जैसे क्षेत्रों में रासायनिक और जैविक निगरानी।
  • शहरी नियोजन, पुरातत्व स्थलों का मानचित्रण और पर्यावरण डिजाइन सुनिश्चित करना तथा, आपातकालीन सेवाएं और आपदा निगरानी।
  • पर्यावरण प्रबंधन जैसे ईआईए, वन्यजीव और पर्यावास की निगरानी।
  • सुरक्षा सेवाएं जैसे पुलिस प्रतिक्रिया समन्वय और अपराध की निगरानी तथा पता लगाना।
  • व्यापार और वाणिज्य जैसे बुनियादी ढांचे, एयरो प्रौद्योगिकी तथा रोबोटिक्स का निरीक्षण।
  • मीडिया और संचार जैसे खोजी पत्रकारिता, आईपीएल।
  • मनोरंजन और मन-बहलाव जैसे जल क्रीड़ा।

वर्तमान परिदृश्य

  • नागरिक उड्डयन नियामक डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने भारत की ड्रोन नीति का पुनर्निर्माण किया है और आम नागरिकों द्वारा संचालित ड्रोन या रिमोट से संचालित विमान प्रणालियों के लिए दिशा-निर्देश प्रकाशित किए हैं। नई ड्रोन नीति हवाई क्षेत्र को तीन अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित करती हैः रेड (नो-फ्रलाई जोन), येलो (प्रतिबंधित अनुमति) और ग्रीन (सभी की पहुंच)। इसके साथ ही डिजिटल स्काई प्लेटफॅर्म भी पेश किया गया है।

डिजिटल स्काई प्लेटफार्म

  • डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म एक अद्वितीय मानवरहित यातायात प्रबंधन (UTM) प्रणाली है, जो हर उड़ान के लिए ऑपरेटरों को तत्काल (ऑनलाइन) मंजूरी देने के अलावा ड्रोन और ऑपरेटरों के पंजीकरण तथा लाइसेंस की सुविधा प्रदान करेगा।
  • डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म ‘‘नो परमिशन, नो टेकऑफ’’(NPNT) नियम को लागू करता है। इसका तात्पर्य यह है कि बिना डिजिटल परमिट के कोई भी ड्रोन आसानी से उड़ान नहीं भर सकेगा। इससे अनधिकृत उड़ानों को रोका जा सकेगा।
  • डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म, ड्रोन हवाई क्षेत्र में एक यातायात नियामक के रूप में काम करता है और रक्षा एवं नागरिक वायु यातायात नियंत्रकों (एटीसी) के साथ समन्वय करता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ड्रोन अनुमोदित उड़ान मार्गों पर बने रहें।
  • ड्रोन उपयोगकर्ताओं को अपने ड्रोन (विशिष्ट पहचान संख्या), पायलट और मालिकों का एक बार पंजीकरण करना आवश्यक है।
  • प्रत्येक उड़ान (नैनो श्रेणी को छोड़कर) के लिए उपयोगकर्ताओं को मोबाइल ऐप पर उड़ान भरने की अनुमति लेनी होगी जिसके पश्चात् एक स्वचालित प्रक्रिया तुरंत अनुमति देती है या इनकार करती है।

भारत अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) परिषद के लिए निर्वाचित

दुबई (संयुक्त अरब अमीरात) में आयोजित ITU सम्मेलन 2018 के दौरान भारत को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) परिषद के सदस्य के रूप में एक और 4 वर्ष के कार्यकाल (2019-2022) के लिए फिर से चुना गया है। इस सम्मेलन में नई दिल्ली में एक ‘आईटीयू-दक्षिण एशिया क्षेत्र कार्यालय और प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र’ स्थापित करने का निर्णय भी लिया गया। आईटीयू काउंसिल एक वैश्विक प्राधिकरण है, जो रेडियो-फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम और सैटेलाइट ऑर्बिट संसाधनों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। यह वैश्विक स्तर पर दूरसंचार और आईसीटी क्षेत्र में चुनौतियों से संबंधित मुद्दों को उठाता है। इस परिदृश्य में आईटीयू परिषद में भारत की सीट प्रासंगिक है, क्योंकि वह चौथी औद्योगिक क्रांति की ओर बढ़ना चाहता है।

ड्रोन संचालन के लिए दिशा-निर्देश

  • नैनो ड्रोन (250 ग्राम से अधिक) से बड़े हर ड्रोन को विमानन नियामक से एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) प्राप्त करना होगा। यूआईएन एक बार जारी किया जाएगा और किसी विदेशी नागरिक या संस्था को जारी नहीं किया जाएगा।
  • एक मानव रहित विमान परिचालक परमिट (UAOP) उन पायलटों को प्रदान किया जाएगा, जिन्हें DGCA ने अनुमति प्रदान की है (इनके प्रशिक्षण को स्वीकृति दी है)। केवल उन पायलटों को ही ड्रोन उड़ाने की अनुमति होगी है।
  • हर ड्रोन में अनिवार्य उपकरण होना चाहिए जैसे कि GPS, एंटी-टकराव प्रकाश, आईडी प्लेट, रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (FRID) और सॉफ्रटवेयर के साथ सिम की सुविधा; जो ‘नो-परमिशन, नो-टेकऑफ’सुनिश्चित करता है।
  • ड्रोन को केवल दिन के समय ही उड़ाना चाहिए और हर समय पूर्ण दृश्य रेखा को बनाए रखना चाहिए।
  • उड़ान संचालन से पहले स्थानीय पुलिस को सूचित करने वाला एक लिखित नोटिस दिया जाना चाहिए।
  • ‘नो-ड्रोन जोन’का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। उच्च यातायात हवाई अड्डों, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों, सैन्य या सामरिक प्रतिष्ठानों की परिधि के साथ, यहां तक कि एक चलते वाहन, जहाज या विमान जैसे मोबाइल प्लेटफॉर्मों से भी ड्रोन के उड़ान को प्रतिबंधित किया गया है।

आगे की राह

  • ड्रोन के व्यावसायिक उपयोग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिएदृष्टि रेखा से परे संचालन के दिशा-निर्देश उपलब्ध कराना।
  • रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) के साथ-साथ GSM और सिम कार्ड स्लॉट के उपयोग से ड्रोन के थर्ड पार्टी कंट्रोल के जोखिम के कारण सुरक्षा चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता है।
  • ड्रोन के निर्माण से संबंधित मानदंडों और दिशा-निर्देशों को आसान बनाना।
  • मानव नियंत्रित और स्वायत्त ड्रोन पर स्पष्ट नीतिगत दिशा-निर्देश।
  • एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट और डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म से संबंधित विशिष्ट कानूनों और विवरणों को संहिताबद्ध करना।
  • ड्रोन के दुरुपयोग के मामले में जुर्माना प्रावधानों को निर्दिष्ट करना।