आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए राष्ट्रीय रणनीति

  • सभी सार्वजनिक मंचों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को सफलता से अपनाने के लिए, डेटा के नैतिक प्रबंधन और भारतीय समाज में प्रचलित डिजिटल विभाजन के बारे में चिंताओं को सुलझाने की जरूरत है। एआई जैसा प्रौद्योगिकी व्यवधान एक पीढ़ी में एक बार की परिघटना है। इसलिए वित्तीय प्रभाव की संकीर्ण परिभाषाओं और अधिकतम के हित के बीच संतुलन बनाने के लिए बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय रणनीतियों की आवश्यकता है। अमिताभ कांत ने इसे सबसे अच्छी तरह व्यक्त किया, जब उन्होंने कहा कि ‘‘डेमोक्रेटिक एआई’’ भारत के समावेशी विकास के लिए आवश्यक है।
  • इस परिवर्तनकारी तकनीक को अपनाने और भारत की अनूठी जरूरतों और आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से, नीति आयोग ने ‘‘National Strategy for Artificial Intelligence" को परिभाषित करते हुए एक पेपर जारी किया, जिसमें #AIforAll का आह्वान किया गया है।

केंद्र बिंदु के क्षेत्र

  • हेल्थकेयरः गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवा की पहुंच और वहनीयता में वृद्धि।
  • कृषिः किसानों की आय में वृद्धि, कृषि उत्पादकता में वृद्धि और अपव्यय में कमी।
  • शिक्षाः शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार।
  • स्मार्ट सिटीज और इन्फ्रॉस्ट्रक्चरः बढ़ती शहरी आबादी के लिए प्रभावी कनेक्टिविटी।
  • स्मार्ट गतिशीलता और परिवहनः कुशल और सुरक्षित ढंग का परिवहन और बेहतर यातायात और गतिरोध प्रबंधन।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने में बाधाएं

  • एआई के क्षेत्र में व्यापक आधार अनुसंधान और अनुप्रयोग विशेषज्ञता का अभाव।
  • डेटा पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाने का अभाव, कुशल डेटा तक पहुंच की कमी।
  • एआई को अपनाने के लिए उच्च संसाधान लागत और कम जागरूकता।
  • गोपनीयता और सुरक्षा सहित अज्ञात डेटा के बारे में औपचारिक नियमों की कमी।
  • एआई को अपनाने और अनुप्रयोग के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण का अभाव।

AI अनुसंधान एवं भारत

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भारत की प्रगति की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, नीति आयोग दस्तावेज ने दो-स्तरीय संरचना का प्रस्ताव रखा हैः

  • सेंटर ऑफ रिसर्च एक्सीलेंस (CORE), मुख्य रूप से मौजूदा मूल शोध को समझने और नए ज्ञान के निर्माण के माध्यम से प्रौद्योगिकी सीमाओं को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
  • इंटरनेशनल सेंटर ऑफ ट्रांसफारमेशन एआई (ICTAI) विकास और अनुप्रयोग आधारित अनुसंधान के उद्देश्य पर आधारित है।

डिजी गांव योजना

डिजी गांव योजना (जिसे डिजिटल गांवों के रूप में भी जाना जाता है) का विस्तार देश के 700 गांवों तक किया गया है। यह परियोजना ग्राम आधारित कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSCs) की परिकल्पना करती है, जो उसका संपर्क संपूर्ण भारत से स्थापित करता है। यह वाई-फाई चौपालों से जुड़ी होती है और ग्राम निवासियों को सेनेटरी नैपकिन, एलईडी निर्माण इकाइयों आदि जैसे उद्यमशीलता के अवसरों में सहायता करती है। इस योजना का उद्देश्य समुदाय की भागीदारी माध्यम से ग्रामीण क्षमताओं और रोजगारों का निर्माण करना तथा भारतीय गांवों को डिजिटल रूप से सशक्त समाज की ओर ले जाने एवं उनकी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने में ज्यादा मदद करना है।

आगे की राह

  • तकनीकी योग्यता के मानदंड की ओर बढ़ने के लिए मौजूदा कार्यबल को कौशल और पुनः कौशल प्रशिक्षण देना।
  • शैक्षणिक संस्थानों और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर विकेंद्रीकृत शिक्षण तंत्र को अपनाने के माध्यम से नौकरी बाजार की बदलती जरूरतों के अनुसार भविष्य की प्रतिभा का विकास करना।
  • नए क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देना, जैसे आंकड़ा विश्लेषण (डेटा एनोटेशन) को पहचानने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • मूल्य श्रृंखला से आगे जाकर AI को अपनाना, उदाहरण के लिए स्टार्टअप, निजी क्षेत्र, सार्वजनिक उपक्रम और सरकारी संस्थाएं आपूर्ति और मांग का एक मूल्यवान चक्र बनाकर क्षमता को बढ़ाने का काम करेंगी।
  • डेटा संग्रह और एकत्रीकरण, आंकड़ा विश्लेषण (डेटा एनोटेशन) और परिनियोजन मॉडल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक औपचारिक बाजार (मार्केट प्लेस) बनाने की आवश्यकता है।
  • राष्ट्रीय एआई मार्केटप्लेस (एनएआईएम) नामक एक सामान्य मंच की स्थापना करना, जो सरकारी क्षेत्र में एआई जैसी अत्यधिक सहयोगी तकनीक को त्वरित रूप से अपनाने के लिए एक प्रवेश द्वार प्रदान करता है।
  • एआई के बारे में नैतिकता, गोपनीयता और सुरक्षा के सवालों पर चर्चा करने के लिए प्रत्येक सेंटर ऑफ रिसर्च एक्सीलेंस (कोर) पर नैतिक परिषद (एथिक्स काउंसिल्स) का एक संकाय स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • बौद्धिक संपदा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए विशेष रूप से एआई अनुप्रयोगों से संबंधित पेटेंट कानूनों पर एक मजबूत बौद्धिक संपदा ढांचे की आवश्यकता है।
  • एआई डेवलपर्स और उपयोगकर्ताओं के बीच के दूरी कम करने में मदद करने के लिए आईपी सुविधा केंद्रों की स्थापना।
  • आईपी को स्वीकृत करने वाले अधिकारियों, न्यायपालिका और न्यायाधिकरणों के पर्याप्त प्रशिक्षण का सुझाव है।
  • विशेष टीमों के माध्यम से ‘‘मून शॉट रिसर्च प्रोजेक्ट्स’’ को आगे बढ़ाना।
  • एआई में चैनल अनुसंधान के लिए एक समर्पित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी का विकास।