राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018

भारत डिजिटल क्षेत्र में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाले देशों में एक है और 2025 तक भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था एक खरब (ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है। सरकार ने पहले ही भारतनेट, पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट, वर्चुअल नेटवर्क आपरेटर्स की शुरुआत, राष्ट्रीय टेलीकॉम M2M रोडमैप, मोबाइल नंबर परिवर्तनशीलता, राष्ट्रीय EMF पोर्टल, स्पेक्ट्रमों की खुली नीलामी और एक नए इंटरनेट प्रोटोकॉल (Ipv6) से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य प्रारंभ कर दिए हैं। ये सभी उपाय दीर्घकाल तक भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को कायम रखने के लिए एक जीवंत टेलीकॉम बाजार निर्मित करने में सक्षम हैं। इस परिदृश्य में वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की प्रभावी हिस्सेदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 को जारी किया गया है।

नीति के उद्देश्य

  • प्रत्येक नागरिक को 50 एमबीपीएस गति की सर्वव्यापी ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना।
  • सभी ग्राम पंचायतों को 2020 तक 1 जीबीपीएस गति की कनेक्टिविटी और 2022 तक 10 जीबीपीएस गति की कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना।
  • नए युग के कौशल विकास के द्वारा डिजिटल संचार क्षेत्र में चार मिलियन (40 लाख) अतिरिक्त रोजगारों का निर्माण करना।
  • डिजिटल संचार क्षेत्र में 100 अरब (बिलियन) डॉलर का निवेश आकर्षित करना।
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स इन्वायरमेंट (IOT) को बढ़ाकर 5 बिलियन आपस में जुड़े उपकरणों तक करना।
  • डिजिटल संचार के लिए एक व्यापक डाटा सुरक्षा तंत्र स्थापित करना, जिससे व्यक्तियों की निजता, स्वायत्तता और चयन सुरक्षित रहें।
  • नागरिकों को सुरक्षित डिजिटल संचार ढांचा एवं सेवाओं के प्रति आश्वस्त करने के लिए उपयुक्त संस्थात्मक तंत्र के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करना।

नीति की आवश्यकता

  • टेलीकॉम क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकी जैसे 5G, IoT, M2M को लाने की आवश्यकता।
  • भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र के लिए उपभोक्ता केंद्रित और एप्लीकेशन ड्रिवेन नीतियां लाकर टेलीकॉम आधारित सेवाओं का विस्तार।
  • इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (आईटीयू) के आईसीटी (ICT) विकास सूचकांक में भारत को 2017 के 134वें स्थान से शीर्ष 50 देशों में पहुंचाने का लक्ष्य।
  • भारत के जीडीपी में डिजिटल संचार क्षेत्र के योगदान को वर्तमान के 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 8 प्रतिशत करना।
  • निवेश आकर्षित करने के लिए टेलीकॉम क्षेत्र को आवश्यक और महत्वपूर्ण संरचना क्षेत्र का दर्जा देना।
  • इस सेक्टर में वृद्धि के लिए लाइसेंसिंग और नियामक व्यवस्था में सुधार करना।

आगे की राह

  • एक राष्ट्रीय फाइबर अथॉरिटी के निर्माण के द्वारा एक राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड की स्थापना करना।
  • सभी नए शहरों और राजमार्ग योजनाओं में साझा सेवा मार्ग और उपयोगिता गलियारा को स्थापित करना।
  • सड़कों के साझा अधिकारों के लिए केंद्र, राज्यों और स्थानीय संस्थाओं के एक सहयोगात्मक संस्थात्मक तंत्र का निर्माण करना।
  • लागत और समय का मानकीकरण।
  • स्वीकृति की बाधाओं को दूर करना।
  • ओपन एक्सेस नेक्स्ट जनरेशन नेटवर्कों के विकास में सहायता देना।

राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह

भारत में राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस प्रतिवर्ष 11 फरवरी को मनाया जाता है। वर्ष 2018 में इसे राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह के रूप में मनाया गया, जिसकी थीम थी- ''Industry 4.0 Leapfrog Opportunity for India''राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह को प्रोत्साहन देने वाला सर्वोच्च संगठन, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और उत्पादन विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद भारत में उत्पादकता संस्कृति और गुणवत्ता को बढ़ाने के प्रयास में कार्यरत है।