सहस्राब्दि विकास लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्ष 2000 के सहस्राब्दि शिखर सम्मेलन में 2015 तक के लिये 8 वैश्विक विकास लक्ष्य निर्धारित किये गये थे जिन्हें सहस्राब्दी विकास लक्ष्य 'Millennium Development Goals (MDG)' कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र के उस समय के 189 सदस्य राष्ट्रों तथा 22 अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं ने 2015 तक निम्नलिखित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये संकल्प लिया था-

  1. भुखमरी तथा गरीबी को समाप्त करना।
  2. सार्वजनिक प्राथमिक शिक्षा।
  3. लिंग समानता तथा महिला सशक्तिकरण।
  4. शिशु-मृत्यु दर घटाना।
  5. मातृत्व स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।
  6. HIV/AIDS, मलेरिया तथा अन्य बीमारियों से छुटकारा पाना।
  7. पर्यावरण सततता।
  8. वैश्विक विकास के लिए संबंध स्थापित करना।

सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (Millenium Development Goals-MDGs) पर संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट 6 जुलाई, 2015 को जारी की थी। रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में कहा गया था कि भारत ने 1994 के बाद देश में व्याप्त अति-गरीबी में कमी करने के प्रयास किए। 1994 में जहां अति गरीबों की संख्या कुल जनसंख्या की 49.9 प्रतिशत थी वहीं 2011 में यह घटकर 24.7 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में अति गरीब उन्हें माना गया था जो 1.25 डॉलर से कम पर एक दिन का जीवन यापन करते थे।

भारत ने 22 पैमानों में से 11 विषयों के लक्ष्यों को हासिल कर लिया था। भारत ने शिक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य आदि विषयों पर सफलता प्राप्त की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि हालांकि, भारत ने अति गरीबी कम करने में सफलता प्राप्त की, लेकिन अन्य 10 विषय, जिनमें मुख्य रूप से प्रसूता मृत्यु दर और साफ-सफाई जैसे हैं, उनमें तय लक्ष्य को प्राप्त करने में वह पीछे रहा।