मानव अधिकार संरक्षण विधेयक, 2018

अप्रैल, 2018 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश में मानव अधिकारों के बेहतर संरक्षण और संवर्धन के लिए मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2018 को अपनी स्वीकृति दी। इस संशोधन से भारत में मानव अधिकार संस्थानों को मजबूती मिलेगी और संस्थान अपने दायित्वों और भूमिकाओं तथा जिम्मेदारियों का कारगर निष्पादन कर सकेंगे।

संशोधित अधिनियम से मानवाधिकार संस्थान जीवन, स्वतंत्रता, समानता तथा व्यक्तित्व के सम्मान से संबंधित अधिकारों को सुनिश्चित करने में वैश्विक मानकों का परिपालन करेंगे।

इस विधेयक की प्रमुख विशेषताएं निम्नवत हैं-

  • विधेयक में आयोग के मानित सदस्य के रूप में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है।
  • विधेयक आयोग के गठन में एक महिला सदस्य को जोड़ने का प्रस्ताव करता है।
  • विधेयक में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए पात्रता और चयन के दायरे को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।
  • विधेयक में केन्द्रशासित प्रदेशों में मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों को देखने के लिए एक व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है।
  • विधेयक में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल में संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि इसे अन्य आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल के अनुरूप बनाया जा सके।

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 में संशोधन से राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) तथा राज्य मानव अधिकार आयोग (SHRC) कारगर तरीके से मानव अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन करने के लिए अपनी स्वायत्तता, स्वतंत्रता, बहुलवाद तथा व्यापक कार्यों से संबंधित पेरिस सिद्धांत का परिपालन करेंगे।