व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) विधेयक, 2018

फरवरी, 2018 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) विधेयक, 2018 को लोकसभा में पेश करने की स्वीकृति दी गयी। मानव तस्करी बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। इस अपराध से निपटने के लिए अभी तक कोई विशेष कानून नहीं है।

  • यह विधेयक अत्यंत कमजोर व्यक्तियों, विशेषकर महिला एवं बच्चों को, प्रभावित करने वाले घृणित और अदृश्य अपराधों से निपटने का समाधान प्रदान करता है।

इस विधेयक की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं

  • विधेयक रोकथाम, बचाव तथा पुनर्वास की दृष्टि से तस्करी समस्या का समाधान प्रदान करता है।
  • तस्करी के गंभीर रूपों में जबर्दस्ती मजदूरी, भीख मांगना, समय से पहले यौन परिपक्वता के लिए किसी व्यक्ति को रासायनिक पदार्थ या हारमोन देना, विवाह या विवाह के छल के अंतर्गत या विवाह के बाद महिलाओं तथा बच्चों की तस्करी शामिल है।
  • मानव तस्करी को बढ़ावा देने और तस्करी में सहायता के लिए जाली प्रमाण-पत्र बनाने, छापने, जारी करने या बिना जारी किए बांटने, पंजीकरण या सरकारी आवश्यकताओं के परिपालन के साक्ष्य के रूप में स्टीकर और सरकारी एजेंसियों से मंजूरी और आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करने के लिए जालसाजी करने वाले व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान है।
  • पीडि़तों, गवाहों तथा शिकायत करने वालों की पहचान प्रकट नहीं करके गोपनीयता रखना।