मरूस्थलीकरण से संबंधित संयुक्त राष्ट्र अभिसमय

भारत के परिप्रेक्ष्य में

पर्यावरण मंत्रालय के एक अध्ययन के अनुसार मरुस्थलीकरण, भूमि अवक्रमण और सूखे से (Desertification, Land Degradation and Drought -DLDD) 2014-15 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 2.54 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।

पृष्ठभूमि

मरुस्थलीकरण से संबंधित संयुक्त राष्ट्र अभिसमय इस बात पर जोर देता है कि जो आबादी मरूस्थलीकरण से सीधे तौर पर पीडि़त है, वह किसी दूसरे की अपेक्षा अपने पर्यावरण की कमजोरी को बेहतर तरीके से समझती है। मरूस्थलीकरण के प्रतिरोध से संबंधित संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention to Combat Desertification - UNCCD) को 1994 में पेरिस (फ्रांस) में अपनाया गया था।

UNCCD 1996 में लागू हुआ और पर्यावरण एवं विकास को सतत भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला कानूनन बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता बन गया। इस अभिसमय के 197 पक्षकार हैं।

उद्देश्यः

इसका उद्देश्य नवप्रवर्तनकारी राष्ट्रीय कार्यक्रमों एवं अंतरराष्ट्रीय भागीदारियों के माध्यम से प्रभावकारी कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है।

प्रमुख विशेषताएं:

यह समझौता मरूस्थलीकरण के खिलाफ संघर्ष तथा सूखा और मरूस्थलीकरण से गंभीर रूप से प्रभावित देशों में अकाल के प्रभावों को कम करता है। यह मरूस्थलीकरण को रोकने में स्थानीय लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु ऊर्ध्वगामी उपागम (Bottom-upApproach) के लिए प्रतिबद्ध है।