संयुक्त राष्ट्र उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट, 2018

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा जारी उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट, 2018 के अनुसार तीन वर्ष की अवधि तक स्थिरीकरण के बाद 2017 में ऊर्जा और उद्योग से वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि हुई।

विशेषताएं:

  • 2015 में पेरिस में 194 देशों द्वारा किए गए वादे, जिन्हें ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ या NDC कहा जाता है, ‘उत्सर्जन अंतर’ को खत्म करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। ‘हमारे द्वारा कितना उत्सर्जन करने के संभावना है’ और ‘हमें कितना उत्सर्जन करना चाहिए’ के बीच का अंतर ‘उत्सर्जन अंतर’ है।
  • यदि 2030 तक उत्सर्जन अंतर खत्म नहीं होता है, तो पूर्व-औद्योगीकृत स्तर के औसत तापमान से वैश्विक तापन को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की बहुत कम संभावना है।
  • अधिकांश देश अभी तक उस ओर अग्रसर नहीं हैं, जो 2030 तक उन्हें अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ को पूरा करने के लिए प्रेरित करे।

भारत के परिप्रेक्ष्य में

  • भारत का ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन 2017 में 3 प्रतिशत दर से बढ़ने का अनुमान है।
  • भारत का 2017 में वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 7% का योगदान है।

पृष्ठभूमि

वार्षिक संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट वर्तमान जलवायु परिवर्तन के राष्ट्रीय शमन प्रयासों का आंकलन प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट वर्ष 2010 से संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा जारी की जाती है।