एन्सफ़ेलैइटिस सिंड्रोम का तीव्र प्रसार

बिहार के मुजफ्फरपुर व आसपास के जिलों में जून 2019 में ‘तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम’ (Acute Encephalitis Syndrome-AES) के प्रकोप के चलते 150 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो गई। वर्ष 2014 के बाद से यह सर्वाधिक मृत्यु का आंकड़ा है; वर्ष 2014 में एईएस के कारण 355 लोगों की मृत्यु हुई थी। इनमें अधिकांश मृत्यु हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) के कारण हुईं; हाइपोग्लाइसीमिया का आशय ‘अत्यधिक निम्न रक्त शर्करा स्तर’ (very low blood sugar level) से है।

लक्षण एवं कारण

हाइपोग्लाइकेमिया एक लक्षण नहीं, बल्कि एईएस का संकेत है। यह हाइपोग्लाइकेमिया कुपोषण और उचित आहार की कमी के कारण होता है।

  • हाल अध्ययनों के अनुसार, ‘मेथिलीन साइक्लोप्रोपाइल ग्लाइसीन’ (Methylene cyclopropyl glycine - MCPG), जो कि लीची फल में पाया जाने वाला एक पदार्थ है, के कारण भी हाइपोग्लाइकेमिया होता है।
  • अटलांटा में स्थित ‘सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल’ तथा वेल्लोर स्थित ‘क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज’ द्वारा किये गए अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इस क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी, आर्द्रता, अस्वास्थ्यकर स्थिति व कुपोषण आदि एईएस के मामलों में वृद्धि में प्रमुख योगदान रखते हैं।

एक्यूट एन्सेफेलैइटिस सिंड्रोम

  • एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम, जिसे ‘दिमागी बुखार’ के रूप में भी जाना जाता है, इसके लक्षणों में तेज बुखार, उल्टी तथा गंभीर मामलों में दौरे, पक्षाघात और कोमा आदि शामिल हैं।
  • एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम वायरस, बैक्टीरिया या कवक के कारण हो सकता है। एईएस को चमकी बुखार भी कहा जाता है।
  • स्वास्थ्य मंत्रलय के अनुसार एईएस के 5.35% मामले ‘जापानी एन्सेफलाइटिस’ के कारण ही होते हैं।
  • बिहार में एईएस के 98% रोगी, हाइपोग्लाइकेमिया से भी पीड़ित हैं, इसलिए डॉक्टर इसे ही एईएस से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं।