एंथ्रेक्स के समाप्ति हेतु नया टीका विकसित

25 जून, 2019 मैसूर स्थित ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला’ (DRDL) तथा नई दिल्ली स्थित ‘जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय’ (JNU) के शोधकर्ताओं द्वारा ‘एंथ्रेक्स’ (Anthrax) के खिलाफ एक नया टीका विकसित किया गया है। वैज्ञानिक विकसित टीका को मौजूदा टीकों से बेहतर होने का दावा कर रहे हैं; क्योंकि यह एंथ्रेक्स व इसके जीवाणु के प्रति ‘प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया’ उत्पन्न कर सकता है।

मुख्य तथ्य

शोध के परिणामों को ‘फ्रंटियर्स इन इम्यूनोलॉजी’ नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया। शोधकर्ताओं ने इस वैक्सीन के लिए, दो जीनों (सुरक्षात्मक एंटीजन प्रोटीन और बीजाणु की बाहरी परत में मौजूद प्रोटीन) के कुछ हिस्सों को एक साथ जोड़ा। इस प्रकार उत्पादित प्रोटीन दो प्रोटीनों का एक संलयन था।

  • वर्ष 2001 में इस बीमारी के जीवाणुओं को ‘जैव-आतंकवाद’ (bio-terrorism) के एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया गया था। उस समय पत्र (letters) के माध्यम से अमेरिका के कुछ लोगों को एंथ्रेक्स जीवाणु भेजे गए थे।
  • एंथ्रेक्स पैदा करने वाले जीवाणु के बीजाणु मिट्टी में मौजूद होते हैं और वर्षों तक अव्यक्त रूप में रह सकते हैं। हालांकि, अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में वे सक्रिय हो जाते हैं और संक्रमित करने लगते हैं।