अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35(ए)

संविधान के भाग XXI का अनुच्छेद 370 का शीर्षक ‘अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान’ है। हालाँकि, अनुच्छेद 370 (3) का विलोपन राष्ट्रपति के आदेश द्वारा किया जा सकता है। अनुच्छेद 370 भेदभावपूर्ण था, क्योंकि राज्य में केंद्रीय कानून को लागू करने से सम्बंधित संसद की शक्ति को प्रतिबंधित करता था। रक्षा, विदेश और संचार के विषयों पर राज्य की ‘परामर्श’की आवश्यकता थी, जबकि शेष विषयों पर कानून बनाने के लिए राज्य सरकार की ‘सहमति’ अनिवार्य थी।

संविधान (जम्मू एवं कश्मीर के लिए लागू) आदेश, 2019 द्वारा अनुच्छेद 370 के उन प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया गया, जो जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देते थे। इसके साथ ही संविधान (जम्मू एवं कश्मीर के लिए लागू) आदेश, 1954 को निरस्त कर दिया तथा जम्मू एवं कश्मीर राज्य में भारतीय संविधान के सभी अनुच्छेद पर लागू करने का प्रावधान किया गया।

अनुच्छेद 35(ए) 1954 को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा लागू किया गया था, जिसने राज्य के ‘स्थायी निवासी’को परिभाषित करने और उन्हें विशेषाधिकार प्रदान करने के लिए जम्मू एवं कश्मीर विधायिका को सशक्त बनाया था।

अनुच्छेद 370 और 35 (ए) के कारण भेदभाव

दूसरे राज्यों के लोग भूमि या संपत्ति में निवेश नहीं कर सकते थे।

  • विनिर्माण फर्म या बहुराष्ट्रीय निगम कश्मीर में निवेश नहीं करते थे।
  • इसने कॉलेजों की रिक्तियों को भरने में भी अवरोध उत्पन्न किया। बेरोजगारी के कारण युवाओं का अतिवादी बनाना।
  • अनुच्छेद 35(ए) महिलाओं के विरुद्ध था, क्योंकि जम्मू एवं कश्मीर के स्थायी पुरुष दूसरे राज्य की महिला से शादी कर सकते थे और उनका कोई अधिकार समाप्त नहीं होता था; लेकिन यदि जम्मू-कश्मीर की महिला अन्य राज्य के पुरुष से शादी करती थी, तो वह अपने राज्य के अधिकार खो देती थी। उसके पति और बच्चों को राज्य का स्थायी निवासी का दर्जा प्रदान नहीं किया जाता था। उनके बच्चों को उसकी संपत्ति विरासत में नहीं मिल सकती थी, सरकारी कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल सकता था। इसके साथ ही वोट भी नहीं दे सकते थे।

संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए लागू) आदेश, 2019

इस विधान द्वारा संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए लागू) आदेश, 1954 को निरस्त किया गया और भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू एवं कश्मीर पर विस्तारित किया गया। इसके माध्यम से अनुच्छेद 370 का उपयोग अनुच्छेद 367 में संशोधन करने के लिए किया गया था और इस संशोधन का उपयोग फिर अनुच्छेद 370 में संशोधन के लिए किया गया है।

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019

इसके द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य का पुनर्गठन करके, ‘जम्मू और कश्मीर’तथा ‘लद्दाख’नामक दो केंद्र शासित प्रदेश बनाये गये। जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में विधायिका होगी, जो राष्ट्रपति द्वारा उपराज्यपाल के माध्यम से प्रशासित किया जाएगा। जबकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में विधायिका का प्रावधान नहीं है और वह राष्ट्रपति द्वारा उपराज्यपाल के माध्यम से प्रशासित किया जाएगा।

संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए लागू) आदेश, 2019 का प्रभाव

देश के अन्य क्षेत्रों की तरह भूमि की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे भूस्वामियों को अपनी संपत्ति की पूरी कीमत मिल पाएगी, जिससे समृद्धि बढ़ेगी और राज्य का मुख्य भूमि के साथ एकीकरण संभव हो पाएगा।

  • राज्य की पर्यटन क्षमता बढ़ेगी; क्योंकि पर्यटन क्षेत्र में देशी और विदेशी निवेश होगा। सांस्कृतिक सम्मिलन से सांस्कृतिक अंतर की समझ पैदा होगी।
  • लद्दाख संस्कृति को कश्मीरी संस्कृति से अलग पहचान मिलेगी।
  • उच्च शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना होगी। इससे राष्ट्र के युवाओं के बीच संपर्क बढ़ेगा।
  • बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग बढ़ेगी, जिससे सम्पूर्ण भारत में कश्मीरी संस्कृति का अधिक प्रसार होगा।
  • अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्वक सम्पन्न होगी, जो राष्ट्र की वास्तविक समन्वयात्मक संस्कृति को दर्शाएगा।
  • अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, जिससे बेरोजगारी कम होगी और युवाओं में कट्टðरवाद के प्रसार पर रोक लगेगी।