अयोध्या निर्णय/फ़ैसले के बाद सामाजिक समरसता

अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद सदियों पुरानी समस्या थी, जिससे हिंदू और मुसलमानों के बीच सामाजिक तनाव बना रहता था। यह मामला दोनों धार्मिक समूहों के एकीकरण में बाधा था। दावा किया गया है कि जिस स्थान पर बाबरी मस्जिद स्थित है, वह भगवान राम की जन्मभूमि है, इससे सामाजिक अशांति उत्पन्न हुई। सरकार के प्रयास और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय/फैसले द्वारा सदियों पुराने विवाद का समाधान किया गया, जिससे सामाजिक एकीकरण में आने वाली बाधा खत्म हुई।

भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निर्णय दिया कि अयोध्या की सम्पूर्ण 2.77 एकड़ विवादित भूमि को राम मंदिर के निर्माण के लिए गठित एक ट्रस्ट को सौंप दिया जाए। निर्णय द्वारा सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्ष 2010 के फैसले को पलट दिया, जिसमें निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच जमीन का बंटवारा किया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय का निष्कर्ष

बाबरी मस्जिद एक गैर-इस्लामिक ढांचे पर बनाई गई थी।

  • न्यायालय के अनुसार मुस्लिम पक्ष विवादित भूमि पर विशेष अधिकार स्थापित करने में विफल रहा।
  • वर्ष 1949 में मस्जिद को अपवित्र करना और 6 दिसंबर, 1992 को मस्जिद का विनाश कानून का गंभीर उल्लंघन है।

प्रधानमंत्री का संबोधन

प्रधानमंत्री के अनुसार अयोध्या वाद पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला किसी की जीत या हार नहीं है। उन्होंने राष्ट्र द्वारा दिखाई गई एकता एवं एकजुटता की भावना की सराहना की। कानून की उचित प्रक्रिया के साथ किसी विवाद को सुलझाना एक परिपक्व लोकतंत्र का संकेत है। राम भक्ति हो या रहीम भक्ति, इससे जरूरी है कि हम राष्ट्र भक्ति की भावना को मजबूत करें।

शांति एवं समरसता की प्रबलता

एहतियाती कदम उठाए गए थे, लेकिन फैसले के बाद कोई हिंसा नहीं हुई।

  • इसमें भारत के लोगों और उसके लोकतंत्र की परिपक्वता परिलक्षित हुई।
  • इसने उन सभी लोगों को आईना दिखाया, जिन्होंने लंबे समय से विवादों को सुलझाने की भारत की क्षमता पर संदेह किया।
  • दो समुदायों के बीच विवाद को शांतिपूर्वक हल किया गया, अब भारतीय समाज में आपसी समन्वय बढ़ाना है।

बाबरी मस्जिद वाद घटनाक्रम

  • वर्ष 1528 में प्रथम मुगल शासक बाबर के शासनकाल में बाबरी मस्जिद का निर्माण।
  • 23 दिसंबर, 1949 को भगवान राम की मूर्ति को मस्जिद के अंदर रखा गया और सरकार ने बाबरी मस्जिद को ‘विवादित संपत्ति’घोषित किया।
  • वर्ष 1990 में एल.के. आडवाणी ने मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा शुरू की।
  • 6 दिसंबर, 1992 को भीड़ ने मस्जिद को नष्ट कर दिया, जिसके कारण दंगे भड़क उठे, जिसमें लगभग 2000 लोग मारे गए।
  • सितंबर 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि विवादित स्थल को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच विभाजित किया जाए।
  • मई 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को निलंबित कर दिया।
  • 8 मार्च, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने ‘आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट’के लिए मध्यस्थता का आह्वान किया।
  • 2 अगस्त, 2019 को मध्यस्थता विफल हो गई।
  • 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि हिंदू मंदिर के निर्माण एवं देखरेख के लिए पूरी विवादित भूमि एक ट्रस्ट को सौंप दी जानी चाहिए तथा अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए सरकार द्वारा अलग भूमि दी जाएगी।