रक्षा खरीद नीति

रक्षा खरीद प्रक्रिया (DTP) 2016, भारत सरकार के फ्मेक इन इंडियाय् योजना को बढ़ावा देता है। यह रक्षा उपकरण, प्लेटफॉर्म, प्रणालियों और उप-प्रणालियों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को बढ़ावा देता है। यह नीति रक्षा खरीद प्रक्रिया को संस्थागत बनाने, सुव्यवस्थित और सरल बनाने पर केंद्रित है।

  • सरकार ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में देश में रक्षा उत्पादन के विकास को बढ़ाया है, जिससे देश अपनी आवश्यकता की पूर्ति के साथ मैत्रीपूर्ण देशों को निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • उद्योग जगत की अधिक से अधिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा रक्षा खरीद प्रक्रियाओं में संशोधन कर ‘मेक-प् और मेक-प्प्’ प्रक्रियाओं को शुरू कर, सामरिक भागीदारी मॉडल की शुरूआत की गई। इसके साथ स्वचालित मार्ग से एफडीआई में 49% तक वृद्धि किया है।

उद्देश्य

एक ऐसा परिवेश तैयार करना जो मेक इन इंडिया पहल के हिस्से के रूप में एक गतिशील, मजबूत और प्रतिस्पर्द्धी रक्षा उद्योग को प्रोत्साहित करे।

  • प्रौद्योगिकी को तेजी से सुविधाजनक बनाने और देश में एक रक्षा उद्योग के पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना।
  • आयात पर वर्तमान निर्भरता को कम करना और 2025 तक हथियार प्रणालियों (जैसे स्वायत्त हथियार प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, मिसाइल प्रणाली आदि) के विकास तथा निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
  • 2025 तक रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में रक्षा कारोबार तथा निर्यात क्रमशः लगभग 1,70,000 करोड़ रुपये (26 बिलियन अमेरिकी डॉलर) एवं 35,000 करोड़ रुपये (USD 05 बिलियन लगभग) प्राप्त करना।
  • रोबोटिक्स, साइबरस्पेस और एआई प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भारत को एक अग्रणी देश के रूप में बदलना।

मुख्य विशेषताएं

पूंजी अधिग्रहण के विभिन्न श्रेणियों के लिए स्वदेशी सामग्री की आवश्यकता को बढ़ाया / युक्तिसंगत बनाया गया है।

  • मेक इन इंडिया प्रक्रिया के प्रावधान को सरलीकृत किया गया है। इसके अंतर्गत सरकार विकास लागत का 90% वित्त पोषण करेगी, जो भारतीय उद्योग जगत के परियोजनाओं के लिए 10 करोड़ (सरकार द्वारा वित्त पोषित) और लघु एवं मध्यम उद्योग के लिए 3 करोड़ (उद्योग वित्त पोषित) से अधिक नहीं होना चाहिए।

रणनीतियां

  • प्रतिस्पर्द्धी, अभिनव और मजबूत रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना।
  • नवीनतम प्रौद्योगिकी, विनिर्माण प्रक्रियाओं, कौशल अनुसंधान एवं विकास के लिए सहयोग को प्रोत्साहित करना।
  • एमएसएमई और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना।
  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में गुणवत्ता, विश्वसनीयता एवं नियंत्रण परीक्षण प्रयोगशालाओं सहित बुनियादी ढांचे को मजबूत करना तथा रक्षा निर्यात को बढ़ाने में सक्षम बनाना।