भारत ड्रोन नीति 1.0

ड्रोन तकनीक भारत में अभी भी प्रारंभिक चरण में है। भारत में सक्षम ड्रोन तंत्र के निर्माण के लिए वैश्विक प्रौद्योगिकियों और निवेश की जरूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारत की ड्रोन नीति 1.0 जारी की, जो संबंधित हितधारकों की चिंताओं को संबोधित और समायोजित करती है। ड्रोन नीति 1.0 हवाई क्षेत्र को तीन अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित करती है- रेड (नो-फ्लाई जोन), येलो (प्रतिबंधित अनुमति) और ग्रीन (सभी की पहुँच में)।

डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म

डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म एक अद्वितीय मानव रहित यातायात प्रबंधन (UTM) प्रणाली है, जो हर उड़ान के लिए ऑपरेटरों को तत्काल (ऑनलाइन) क्लीयरेंस देने के अलावा ड्रोन और ऑपरेटरों के पंजीकरण और लाइसेंस की सुविधा प्रदान करेगा।

  • डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म ‘नो परमिशन, नो टेकऑफ’ (NPNT) धारा को लागू करता है। इसका तात्पर्य यह है कि बिना किसी डिजिटल परमिट के उड़ान भरने वाला कोई भी ड्रोन आसानी से उड़ान नहीं भर सकेगा, जिससे अनाधिकृत उड़ानों को रोका जा सकेगा।
  • डिजिटल स्काई प्लेटफार्म ड्रोन एयरस्पेस में एक यातायात नियामक के रूप में काम करता है तथा रक्षा और नागरिक वायु यातायात नियंत्रकों (एटीसी) के साथ समन्वय करता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ड्रोन अनुमोदित उड़ान मार्गों पर बने रहें।
  • ड्रोन उपयोगकर्ताओं को अपने ड्रोन (विशिष्ट पहचान संख्या), पायलट और मालिकों का एक बार पंजीकरण करना आवश्यक है।
  • प्रत्येक उड़ान (नैनो श्रेणी को छोड़कर) के लिए उपयोगकर्ताओं को उड़ान भरने की स्वचालित प्रक्रिया द्वारा अनुमति मांगनी होगी।

दिशा-निर्देशः नैनो ड्रोन (250 ग्राम वजन) से बड़े हर ड्रोन को विमानन नियामक से एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) प्राप्त करना होगा। ड्रोन को केवल दिन के उजाले के दौरान ही उड़ाया जायेगा और इसके लिए स्थानीय पुलिस को सूचित करना होगा।

  • हर ड्रोन में कुछ अनिवार्य उपकरण होना चाहिए जैसे कि जीपीएस, आईडी प्लेट, रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) और सॉफ्टवेयर के साथ सिम की सुविधा; जो ‘नो-परमिशन, नो-टेकऑफ’ सुनिश्चित करता है।
  • ‘नो-ड्रोन जोन’ का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। इन क्षेत्रों के आस-पास ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित है। इसके अंतर्गत उच्च-यातायात हवाई अड्डों, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों, सैन्य या सामरिक प्रतिष्ठानों आदि क्षेत्रों को रखा गया है।