कश्मीर मुद्दे पर कूटनीतिक कुशलता

धारा 370 के निरस्त होने के बाद का समय भारतीय कूटनीति के लिए परीक्षा की घड़ी थी। इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत का पक्ष लिया, जबकि पाकिस्तान द्वारा इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास किया गया, जो सफल नहीं रहा तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कश्मीर के मुद्दे को द्विपक्षीय माना।

भारत की कूटनीति की सफलता की मिसाल कई देश की निम्नलिखित प्रतिक्रियाओं से मिलीः

अमेरिका की प्रतिक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति ने जी 7 शिखर सम्मेलन के मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद भारत के निर्णय का सम्मान करते हुए कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की बात को छोड़ दिया।

संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशन)

इसका रुख स्पष्ट है कि भारत और पाकिस्तान को इस मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से हल करना चाहिए। इसने न तो कोई बयान जारी किया और न ही दोनों देशों को किसी औपचारिक बैठक के लिए बुलाया।

रूस का रुख

रूसी दूत ने अनुच्छेद 370 की समाप्ति को भारत सरकार का एक संप्रभु और आंतरिक मामला माना तथा यह भी माना की भारत और पाकिस्तान को इस मुद्दे का हल शिमला और लाहौर समझौते के अनुसार करना चाहिए।

इजरायल का रुख

इजरायल के दूत ने कहा कि ‘कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के कारण व्यक्तिगत अधिकारों तथा कानून के शासन का सम्मान करता है।’

यूएई की प्रतिक्रिया

संयुक्त अरब अमीरात ने भारत के प्रधानमंत्री को अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के पश्चात अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया।

  • भारत में यूएई के राजदूत ने टिप्पणी की कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में राज्यों का पुनर्गठन कोई अद्वितीय घटना नहीं है।
  • उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय असमानता को कम करना और दक्षता में सुधार करना था।
  • उन्होंने जम्मू और कश्मीर राज्य से संबंधित निर्णय को भारत के आंतरिक मामले के रूप में देखा।

फ्रांस की प्रतिक्रिया

फ्रांस ने कहा कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और मतभेदों को बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। किसी भी पक्ष को ऐसे किसी भी कदम से बचना चाहिए, जो तनाव बढ़ा सकते हैं।

श्रीलंका की प्रतिक्रिया

श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के निर्माण का समर्थन किया, क्योंकि इससे बौद्ध बाहुल्य वाला केंद्र शासित प्रदेश बनेगा।

मालदीव की प्रतिक्रिया

मालदीव ने कहा कि ‘‘वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के संबंध में भारत सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को एक आंतरिक मामला मानता है। हमारा मानना है कि यह प्रत्येक संप्रभु राष्ट्र का अधिकार है कि वे अपने कानूनों में समय आने पर संशोधन करें।”

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी)

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) कश्मीर को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा मानता है, लेकिन ओआईसी के कई सदस्यों के भारत के साथ अच्छे संबंध है। यह साबित करता है कि पाकिस्तान के इस सक्रिय विदेश नीति के बावजूद भारत को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में बढ़त हासिल है।

पाकिस्तान की दुविधा

कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी ने पाकिस्तान को चकित कर दिया है।

इस प्रकार, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ स्पष्ट रूप से भारतीय कूटनीति की सफलता को दर्शाता है।