भारत को इस्लामिक सहयोग संगठन में आमंत्रण

इस्लामी सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की परिषद के 46वां सत्र का आयोजन आबू धाबी में किया गया, उसमें भारत को संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री, महामहिम शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान द्वारा ‘विशिष्ट अतिथि’(गेस्ट ऑफ ऑनर) के रूप में आमंत्रित किया गया था।

पुलवामा में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किये गए आतंकी हमले और जवाब में भारत द्वारा किये गए एयर स्ट्राइक के बाद भारत को दिया गया आमंत्रण भारत और ओआईसी के महत्वपूर्ण संबंधों को रेखांकित करता है।

पृष्ठभूमि

भारत के लिए इस आमंत्रण का महत्व इसलिए भी ज्यादा है; क्योंकि सितंबर 1969 में मोरक्को के रबात में आयोजित पहले इस्लामिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने से विफल हो गया था।

भारत को 1969 में ‘सरकारी स्तर पर प्रतिनिधित्व’के रूप में आमंत्रण मिला था, परन्तु तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल याह्या खान के विरोध के कारण भारत को शामिल होने से रोक दिया गया था।

परन्तु 2019 में पाकिस्तान, भारत को इसमें शामिल होने से रोकने में विफल रहा तथा इसके विरोध में खुद इस बैठक से अलग हो गया।

इस बदलाव के कारण

यह निमंत्रण भारत की आर्थिक उपलब्धियों और बढ़ती वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने का परिणाम है, साथ ही 1990 के दशक में आर्थिक सुधारों के बाद, भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित कर चुका है।

वर्तमान में क्रय शक्ति समता के अनुसार, भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसने विश्व आर्थिक मंदी के दौरान भी उच्च विकास दर को प्राप्त करने में सफल रहा है।

यह भारत की कूटनीतिक निपुणता को प्रदर्शित करता है कि भारत आज विश्व के कई बड़े वैश्विक संगठनों का सदस्य बन चुका है।

भारत ने कई महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर पहल की है, जैसे जलवायु परिवर्तन पर पहल के अंतर्गत सौर गठबंधन का निर्माण और इंटरनेशनल कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का गठन।

इसके अलावा आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद (सीसीआईटी) पर एक व्यापक सम्मेलन को शुरू करने की सिफारिश की है, ताकि आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जा सके।

इसके साथ ही इसने ओआईसी के सदस्यों सहित महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय शक्तियों के साथ मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए हैं।

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) भारत के इस बढ़ते आर्थिक महत्व और वैश्विक पहचान को अब नजर अन्दाज नहीं करना चाहता है।