एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल

इसकी स्थापना 1997-98 में दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी, ताकि वे उच्च और व्यावसायिक शैक्षिक पाठ्यक्रमों में अवसरों का लाभ उठा सकें तथा विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार पा सकें।

  • संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत स्कूलों के निर्माण और राज्य सरकारों को आवर्ती खर्च के लिए अनुदान दिया जाता है।
  • स्कूल न केवल अकादमिक शिक्षा पर बल्कि छात्रों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। प्रत्येक विद्यालय में 480 छात्र होते हैं, जो कक्षा छठी से बारहवीं तक पढ़ते हैं।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार, 564 ऐसे उप-जिलों में से 102 उप-जिलों में ईएमआरएस हैं। आदिवासी जिलों में ईएमआरएस की सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2022 तक 462 नए स्कूल खोले जाने हैं।

एकलव्य मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल (EMDBS)

इस योजना को चिह्नित उप-जिलों में प्रयोगात्मक आधार पर संचालित की जानी है, जहां अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या घनत्व 90% या उससे अधिक है। एकलव्य मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल में बिना आवासीय सुविधा के स्कूली शिक्षा प्रदान की जाएगी।

  • इसको और अधिक प्रभावी बनाने के लिए गुणवत्ता सुनिश्चित करना है; साथ ही स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर तक छात्रों को आवासीय सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए।