हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति

2016 में केंद्र सरकार ने हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (हेल्प) को मंजूरी दी है। इस नीति के मुख्य पहलू हैं:

  1. हाइड्रोकार्बन के सभी रूपों की खोज और उत्पादन के लिए एक समान लाइसेंस,
  2. राजस्व सांझा मॉडल को प्रबन्धित करना, और
  3. उत्पादित कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के विपणन एवं मूल्य निर्धारण की स्वतंत्राता।
  • एक समान लाइसेंस, ठेकेदार को एकल लाइसेंस के तहत पारंपरिक और गैर-पारंपरिक तेल तथा गैस संसाधनों का पता लगाने में सक्षम करेगा।
  • खुला रकबा नीति की अवधारणा ईएंडपी कंपनियों को निर्धारित क्षेत्र से ब्लॉक चुनने में सक्षम करेगी।
  • राजस्व साझा मॉडल के तहत, सरकार और तेल, गैस आदि की बिक्री से सकल राजस्व का एक हिस्सा प्राप्त करती है। यह सरकार की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की नीति के अनुरूप है।
  • एनईएलपी की तर्ज पर, नई नीति के तहत प्रदान किये गये ब्लॉक पर उपकर और आयात शुल्क लागू नहीं है। यह नीति इन ब्लॉकों से उत्पादित कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के विपणन की स्वतंत्राता भी प्रदान करती है।
  • इस नीति ने घरेलू तेल और गैस उत्पादन को बढ़ाया है।
  • नीति का उद्देश्य पारदर्शिता को बढ़ाना और प्रशासनिक स्वविवेक (administrative discretion) को कम करना भी है।

चुनौतियां

  • ऐसी उदार प्रवृत्ति के बावजूद विदेशी संस्थागत निवेशक इसके प्रति दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
  • इस नीति के तहत राजस्व साझेदारी और विपणन स्वतंत्राता की अवधारणा सरकार की ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ नीति के अनुसार है।