महिला पुलिस स्वयंसेवक (एमपीवी)

लिंग-आधारित हिंसा (GBV) महिला समानता और सशक्तिकरण की राह में सबसे बड़ी बाधा है। अतः लैंगिक मुद्दों को नीतियों, प्रोटोकॉल और परिचालन प्रक्रियाओं में एकीकृत करने की आवश्यकता है। इसलिए सरकार ने 2015 में महिला पुलिस स्वयंसेवक (एमपीवी) पहल को प्रारंभ किया।

  • एमपीवी महिलाओं के खिलाफ अपराध से लड़ने के लिए एक सार्वजनिक-पुलिस इंटरफेस के रूप में काम करेगा।
  • संबंधित जिले के एसपी द्वारा एक एमपीवी का चयन किया जाएगा।

एमपीवी के कार्य

  • महिलाओं से सम्बंधित मौजूदा सेवाओं के बारे में जागरुकता पैदा करना।
  • समुदाय में महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ किसी भी अप्रिय व्यवहार या अप्रिय घटनाओं के बारे में पुलिस कर्मियों को सूचित करना। क्षेत्र की अतिरिक्त खुफिया संग्रह इकाई के रूप में कार्य करना।
  • सप्ताह में एक बार स्थानीय आंगनवाड़ी केंद्रो की अनिवार्य यात्रा करना।
  • स्थानीय पुलिस, महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटर से जरूरत के समय संपर्क करने के लिए महिलाओं, परिवारों और सहकर्मी समूहों के बीच विश्वास बनाने के लिए एक-से-एक बैठकें, घर का दौरा, सामुदायिक बैठकें, फोकस समूह चर्चा का संचालन करना।
  • अब तक केवल हरियाणा ही ऐसा राज्य है; जिसने एमपीवी पहल को अपनाया है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, मिजोरम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सरकारों ने एमपीवी के कार्यान्वयन को अनुमोदित किया गया है।