मेट्रो रेल नीति 2017

2017 में मेट्रो रेल नीति घोषित की गई, जिसमें विभिन्न शहरों में मेट्रो रेल परियोजनाओं को शुरू करने का निर्देश है। यह मेट्रो परियोजनाओं पर केंद्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए पीपीपी घटक को अनिवार्य कर मेट्रो परिचालन में निजी निवेश को सुगम बनाता है।

मेट्रो रेल नीति 2017 में मेट्रो रेल प्रणालियों के विकास को उत्प्रेरित करने के लिए तीन महत्वपूर्ण शर्तें रखी गई हैं -

  • प्रथम राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होगी कि वे शहरी गतिशीलता के लिए विभिन्न विकल्पों का पता लगाएं उनका चयन करें और फिर परियोजना को कार्यान्वित करें।
  • दूसरा एक व्यापक गतिशीलता योजना (सीएमपी) किसी भी शहर में मेट्रो रेल की योजना के लिए एक अनिवार्य शर्त है।
  • तीसरा शहरी परिवहन की योजना और प्रबंधन में एकीकृत दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (UMTA) नामक एक वैधानिक निकाय होना चाहिए।

नीति का महत्व

  • मेट्रो रेल के माध्यम से शहरों में गतिशीलता बढ़ाना।
  • धन के वैकल्पिक और नवीन स्रोतों का अन्वेषण करना।
  • व्यापक मूल्यांकन एवं शीघ्र कार्यान्वयन।
  • शहरी परिवहन में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता।

वर्तमान में 10 भारतीय शहरों - कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, जयपुर, गुड़गांव, मुंबई, कोच्चि और लखनऊ में मेट्रो रेल नेटवर्क कार्यात्मक हैं। भारत में पहली मेट्रो सेवा 1984 में कोलकाता में शुरू हुई। 15 शहरों में 664 किमी से अधिक मेट्रो रेल परियोजनाएं वर्तमान में कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं, जबकि 515 किमी से अधिक मेट्रो लाइन भारत में पहले से ही चालू हैं।

रेलवे अधिनियम, 1989

रेलवे अधिनियम, 1989 रेल परिवहन के सभी पहलुओं को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम को रेलवे अधिनियम, 1890 के स्थान परलाया गया। यह अधिनियम रेलवे क्षेत्रों, निर्माण और रखरखाव, यात्री और कर्मचारी सेवाओं के बारे में विधायी प्रावधानों को विस्तार प्रदान करता है।