हेतु राष्ट्रीय संगोष्टी

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 30 अक्टूबर, 2019 को नई दिल्ली में ‘लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (हाथीपांव) रोग के उन्मूलन के लिये एकजुटता’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी पर 2021 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले इस संक्रामक रोग से विश्व में लगभग 1.5 बिलियन से भी अधिक लोग प्रभावित होते हैं। भारत के 21 राज्यों में 256 जिले फाइलेरिया से प्रभावित हैं। फाइलेरिया को खत्म करने के लिए WHO ने 2030 तक का लक्ष्य तय किया है, जबकि भारत ने फाइलेरिया और कालाजार को देश से खत्म करने के लिए 2020-21 का लक्ष्य रखा है।

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस उन्मूलन हेतु सरकार का प्रयास

सरकार ने वर्ष 2018 में ‘हाथीपाँव रोग के तीव्र उन्मूलन की कार्य-योजना’ (Accelerated Plan for Elimination of Lymphatic Filariasis-APELF) की शुरुआत की है।

  • भारत में इस रोग के उन्मूलन हेतु दोहरी रणनीति अपनाई गई है; जिसके तहत हाथीपाँव निरोधक दो दवाओं (ईडीसी तथा एल्बेन्डाजोल- EDC and Albendazole) का प्रयोग, अंग विकृति प्रबंधन (Morbidity Management) के साथ-साथ दिव्यांगता रोकथाम को शामिल किया गया है।
  • केंद्र सरकार ने नवम्बर 2019 से ट्रिपल ड्रग थेरेपी (ज्तपचसम क्तनह ज्ीमतंचल) को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना बनाई है।

लसीका फाइलेरिया (Lymphatic Filarisais)

एक उष्ण कटिबंधीय एवेक्टर जनित रोग है, जो फाइलेरोडिडिया (Filariodidea) परिवार के नीमेटॉडस (Nematodes) परजीवियों के संक्रमण के कारण होती है।

यह तीन प्रकार के होते हैं- वुचेरेरिया बैनक्रोफ्टी (Wuchereria Bancrofti), ब्रुगिया मलाई (Brugia Malayi) ब्रुगिया तिमोरी (Brugiya Timori)। वुचेरेरिया बैनक्रोफ्टी (Wuchereria Bancrofti) हाथीपांव के लगभग 90% मामलों के लिये उत्तरदायी होता है।